दुग्ध संसाधन एवं प्रसंस्करण || Milk Processing

दुग्ध संसाधन – आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम दुग्ध संसाधन एवं प्रसंस्करण की विधि से सम्बंधित पूरी जानकारी इस पोस्ट में पढ़ेंगे|

Table of Contents

दुग्ध संसाधन (Milk Processing)

कच्चा दूध जो डेयरी पर प्राप्त किया जाता है, उसकी गुणवत्ता परीक्षण करने पर यदि परीक्षण नकारात्मक है तो दूध को स्वीकार करके इसका प्रशीतन (Cooling of milk), पास्तुरीकरण (Pasteurization) निर्जमीकरण (Sterilization) व समांगीकरण (Homogenization) जैसी क्रियाएँ करके टैंक में भरकर वितरण के लिए भेजा जा सकता है या फिर दुग्ध पदार्थो में परिवर्तिन कर सकते है| दुग्ध संसाधन में निम्न क्रियाएँ करते है—

(अ) दुग्ध को ठंडा करना

(ब) दूध कापास्चुराइजेशन

(स) निर्जमीकरण

(द) समांगीकरण

(अ) दुग्ध ठंडा करना (cooling of milk)

यदि दूध को उत्पादन के तुरन्त बाद ठंडा कर लिया जाता है तो उसके जीवाणुओं की संख्या नही बढ़ पाती है, और दूध को शहरों तक पहुचाने में यह दूषित भी नही होता है| दूध को ठंडा करना और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि अधिक तापक्रम होने के कारण दूध में जीवाणु बहुत अधिक संख्या में पैदा हो जाते है जिससे दूध शीघ्र खराब हो जाता है| अधिकतर जीवाणु 10० से 40० C तापक्रम पर शीघ्र वृद्धि करते है अतः दूध को कम तापक्रम (5 ० C) पर रखने से जीवाणुओं की वृद्धि को काफी रोका जा सकता है और इससे दूध खट्टा नही हो पायेगा|

दूध को ठंडा करने की विधियाँ – इसकी मुख्यतः दो विधियाँ है|

(1) देशी विधि (Lndigenous Method)

दुग्ध व्यवसाय में लगे हुए ऐसे व्यक्ति जो गाँवों से दूध इकट्ठा करके लाते है उनको इस शर्त पर लाइसेंस दिया जाता है कि वे अपने दूध के बर्तन के चारो और कपड़ा लगाकर गीला रखे जिससे वाष्पीकरण से अंदर का दूध ठंडा रहे| इसलिए दुधिया अपने डिब्बो के चारों और भीगा हुआ कपड़ा लपेट लेते है और उसे बराबर तर रखते है|

(2) वैज्ञानिक विधि (Scientifie Method)

प्रायः चार प्रकार के शीतक दूध को ठंडा करने के काम में लाये जाते है तल शीतक, कैबिनेट शीतक, प्लेट टाइप शीतक तथा दूहरी ट्यूब वाले शीतक/ये शीतक दूध को भिन्न-भिन्न मात्रा को ठंडा करने के काम आते है इन शीतको में दूध को ठंडा करने के लिए विभिन्न प्रकार के माध्यम में लाते है

  1. ठण्डा पानी –  इससे पास्तुराइज्ड दूध को 15.5C तक ठण्डा कर लिया जाता है|
  2. अमोनिया – इससे दूध को 3C से 4C तक ठण्डा कर लिया जाता है|
  3. ब्राइन विलयन (बर्फ व नमक मिश्रण)—इससे दूध के तापक्रम को 3C से 4C तक ठण्डा किया जा सकता है|

दुग्ध उत्पादन

(ब) दूध का पास्तुरीकरण (PASTEURIZATIOn of milk)

पास्तुरीकरण विधि का नाम फ्रांस के वैज्ञानिक लुईस पास्चर के नाम से लिया गया था|

परिभाषा – पास्तुरीकरण वह क्रिया है जिसमे दूध को निश्चित तापक्रम पर निश्चित समय तक रखकर प्रायः उसके सभी जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है लेकिन दूध के खाद्य महत्व तथा क्रीम लेयर पर कोई प्रभाव नही पड़ता है|

पास्तुरीकरण की प्रक्रिया –

इसमें तीन प्रक्रिया सम्मिलित है|

  1. गर्म करना :- दूध को एक निश्चित तापक्रम तक गर्म करते है (63C या 72C)
  2. धारण (HOLDING) – गर्म दूध को एक निश्चित समय तक उसी तापक्रम पर रखना जिससे हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाये|
  3. ठण्डा करना – दूध को तुरन्त इतने तापक्रम तक ठण्डा करना जिस पर बचे जीवित जीवाणु वृद्धिन कर सके|
पास्तुरीकरण की विधियाँ

इसकी अधिक प्रचलित दो विधियाँ है|

(1) कम ताप अधिक समय विधि (LOW TEMPERATURE LONG time METHOD)

इस विधि को धारण या बैच पास्तुरीकरण भी कहते है| इस विधि में दूध को 63C तक गर्म करके 30 मिनट तक धारण अथवा स्थिर रखकर 5C तक तुरन्त ठण्डा कर लेते है| यह विधि दोहरी दीवार वाले कुण्ड में पूरी की जाती है| दो दीवारों के बीच की जगह जो रिक्त होती है उसे जैकिट कहते है| इसमें कुण्ड के अंदर दूध को गर्म करने के लिए जैकिट के अंदर प्रथम तो गर्म पानी भरते है जब दूध ठण्डा करना होता है तो इसमें से गर्म पानी निकालकर ठण्डा पानी भरा जाता है| कुण्ड के अंदर एजीरेटर लगा होता है| दूध को हिलाकर सभी कणों को पूर्ण रूप से गर्म करने में सहायता करता है| पास्तुरीकरण की तीनों क्रियाएँ, धारण और ठण्डा करना इसी के अंदर पूरी की जाती है|

(2) उच्च ताप अल्प समय विधि (High temperature time method)

इस विधि का दूसरा नाम सतत पास्तुरीकरण भी है क्योंकि इसमें दूध लगातार बहता रहता है| इसमें दूध को 72C तक गर्म करके 15 सैकंड तक स्थिर रखते है और तुरन्त ही 5C या और कम तापक्रम तक ठण्डा कर लिया जाता है

इस पास्तुरीकरण के 6 भाग होते है

  1. पुनर्जनन भाग (REGENERATIVE SECTION)
  2. फ्लोट कंट्रोल टैंक उर फ्लो कंट्रोल वाल्ब (FLOAT CONTROL TANK or FLOW CONTROL VALVE)
  3. गर्म करने वाला भाग (FINAL HEATING SECTION with FILTER)
  4. धारण भाग (HOLDING TUBE)
  5. फ्लो डाइवर्जन बल्ब (FLOW DIVERSION VALVE)
  6. शीतलन भाग (FINAL cooling SECTION)

सबसे पहले कच्चा दूध संग्रह कक्ष से मशीन के पुनर्जनन भाग में आता है| दूध के बहाव को समान रखने के लिए फ्लो कंट्रोल वाल्ब तथा टैंक की सतह को समान रखने के लिए फ्लोर वाल्ब होता है| पुनर्जनन भाग में दो ट्यूब एक दूसरे के अंदर होती है| अंदर वाली ट्यूब में पास्तुरीकृत दूध बाहर निकलता है| इसके साथ इन दोनों ट्यूब के बीच में जो स्थान खाली रहता है उसमे से कच्चा दूध बहता है और पास्तुरीकरण यंत्र में चला जाता है| इन दोनों प्रकार के दूधों के साथ-साथ बहने से दोनों को ही समान लाभ होता है अर्थात पास्तुरीकृत कच्चा दूध कुछ गर्म हो जाता है इसलिए पास्तुरीकृत दूध को ठण्डा करने में कम शीतल कारक तथा मामूली गर्म हुए दूध को पास्तुरीकरण करने में कम ताप की आवश्यकता होती है|

पुनर्जनन भाग के बाद दूध छनने के लिए छनने में या स्वच्छक के लिए स्वच्छन में प्रवेश करता है| उसके बाद दूध अंतिम बार गर्म होने के लिए तापक में चला जाता है जहाँ से यह पास्तुरीकृत दूध एक उल्टा प्रवाह वाल्ब में से बाहर निकलता है उल्टा प्रवाह वाल्ब का मुख्य कार्य पूर्ण रूप से पास्तुरीकृत नही हुए दूध को पुनः वापिस मशीन में भेजना होता है| दूध तापको से निकल कर ठण्डा होने के लिए शीतको में चला जाता है| वहाँ से ठण्डा होने के बाद शहर को भेज दिया जाता है|

पास्तुरीकरण प्रक्रिया के लाभ
  1. अधिक दूध के लिए उत्तम विधि है|
  2. समय कम लगता है|
  3. सम्पूर्ण प्रक्रियाएँ एक ही मशीन से पूरी हो जाती है|
  4. श्रम व चालू व्यय कम लगता है|
  5. रिजनेरेशन में गर्म भाग के तापक्रम को कच्चे दूध को गर्म करने में काम में लेते है| ऊष्मा का अच्छा उपयोग होता है|
  6. कम जगह की आवश्यकता होती है|
  7. अन्य विधियों की अपेक्षा इसमें लगभग सभी थरमोफिलिक जीवाणु भी नष्ट हो जाते है|
  8. बड़े दुग्ध व्यवसाय के लिए उपयोगी है|

स्वच्छ दूध उत्पादन

(स) निर्जर्मीकरण (STERILIZATION)

व्यापारिक रूप से निर्जर्मीकरण से तात्पर्य दूध को 200F से 211F तापक्रम पर 30 मिनट तक गर्म करने से है यघपि इस दूध में जीवाणुओं की संख्या बहुत ही कम होती है तथा बहुत अधिक समय तक ठण्डी अवस्था में रखा जा सकता है|

निर्जर्मीकरण की विधि

पहले दूध को स्वच्छ किया तथा छाना जाता है|स्वच्छ करने के लिए दूध को पहले 100F से 120F तापक्रम तक गर्म करना पड़ता है| इसके बाद दूध को समरूप तरल बनाने के लिए इसको 150F से 160F तापक्रम तक गर्म करते है और छानने के बाद समांगीकरण यंत्र में 2000 से 2500 पौंड प्रति वर्ग इंच का दाब डालकर निकालते है यह क्रिया 160F पर करते है| इससे दूध की वसा की गोलिका छोटे-छोटे कणों में विभाजित हो जाती है तथा क्रीम लेयर के रूप में दूध के ऊपर प्रकृत नही होती है इसके बाद निर्जर्मीकृत कुपियों में भरकर, सीलकर इनको एक घण्टे के लिए एक टैंक जिसमे 212F से 230F के तापक्रम का पानी भरा होता है| डुबो देते है फिर बोतलों को निकाल कर ठण्डा करके शहर भेज देते है|

दूध के भौतिक गुण

(द) समांगीकरण (Homogenization)

यह दूध की वह प्रक्रिया है जिसमे यांत्रिक विधि द्वारा दूध की वसा गोलिकाओं तथा दूध के सीरम को एक समान आकार वाले छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर दिया जाता है जिससे दूध को संग्रह करते समय उसके ऊपर क्रीम लेयर के रूप में वसा एकत्र न हो सके और सारे दूध में समान रूप से उपस्थित रह सके| इस क्रियाको समांगीकरण यंत्र द्वारा अधिक दबाव पर दूध को संचालित करके पूरा किया जाता है|

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