मत्स्य पालन in हिन्दी

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मत्स्य पालन की विधियाँ

मत्स्य पालन की विधियाँ दो प्रकार की होती है

मछलियों की सघनता के आधार पर मत्स्य पालन की विधियाँ

सघनता के आधार पर मत्स्य पालन तीन प्रकार से किया जाता है

(1) विरल मत्स्य पालन (विरल मत्स्य पालन किसे कहते है)

इसके अंतर्गत पादप प्लवक एवं जन्तु प्लवक और जलीय वनस्पति को मछली वाले जल क्षेत्र में बिना खाद एवं उर्वरक डाले बिना उनको बढ़ावा देने के लिए निषेचित किया जाता है जिससे पारिस्थिकी तंत्र खाद्य जाल का आधार बनकर एक पिरामिड का रूप लेकर बिक्री योग्य मछलियों का विकास हो सके

ऐसी सामान्य मछलियों की खेती यूरोपीय देशो में की जाती है एवं टिलापियाँ मछलियों का पालन एशिया एवं अफ्रीका के देशो में किया जाता है यहाँ मछलियों का घनत्व अन्य छोटी जाति की मछलियों के साथ 150 से ७५० मछली प्रति हेक्टयर होता है इस प्रकार के पालन में परिश्रम एवं आर्थिक खर्च में बचत होती है

(2) अर्ध सघन मत्स्य पालन(अर्ध सघन मत्स्य पालन किसे कहते है)

इस प्रकार की पालन में मछलियाँ तालाब से महत्वपूर्ण पोषण प्राप्त करती है लेकिन उनको पूरक आहार भी दिया जाता है जिससे मछलियाँ तेजी से बढ़ सके | इसमें मछलियों के तालाब में सब्जियों की उत्पत्ति जैसा भोजन,अनाज एवं मछली भी शामिल हो सकती है चीन में ऐसा पालन जल के अंदर रखे हुए पिंजरों में किया जाता है ऐसे पालन में मछलियों का घनत्व ७५० से ३००० मछली प्रति हेक्टयर होता है

(3) सघन मत्स्य पालन(सघन मत्स्य पालन किसे कहते है)

इस प्रकार के पालन में मछलियों का प्रतिवर्ग मीटर घनत्व अधिक होता है मछलियों को आवश्यकतानुसार भोजन एवं वातावरण दिया जाता है जल के ऑक्सीजन के स्तर एवं जल की गंदगी को सुधारने हेतु मछलियों के आवासीय जल को भी बदला जाता है

वियतनाम में पंगेशियस केट मछली की सघन खेती की जाती है एवं मछलियों को दूसरे देशो में निर्यात किया जाता है इसके अन्तर्गत पंगेशियस मछली की एकल खेती की जाती है एवं पानी को पम्पो की सहायता से बदला जाता है

तालाब एवं पानी में रखे पिंजरों में इस प्रकार की खेती में मछलियों का घनत्व 40 से 60 मछलियाँ प्रति वर्ग मीटर होता है कभी कभी तो भंडारित पिंजरों में इसका घन्त्त्व 100 से 150 मछलियाँ प्रति वर्ग मीटर हो जाता है

बांग्लादेश में भी शैवालो पर पलने वाली मछलियों की इस प्रकार की खेती की जाती है पंगेशियस की तुलना में उनकी खेती के तालाबो के उर्वरक जल के ऑक्सीजन का स्तर ज्यादा होता है जिससे प्रतिजैविक का प्रयोग कम करना पड़ता है

मछलियों का वर्गीकरण
मधुमक्खी पालन

मछलियों की जातियों के आधार पर Pisciculture की विधियाँ

मछली की खेती एक तालाब में मछलियों को मुख्य रूप से वाणिज्यिक अथवा खाद्य उद्देश्य के लिए बढ़ाने की विधि है जो जल निकाय के प्रति हेक्टयर में मछली के मांस का उच्च उत्पादन प्राप्त करने के लिए विभिन्न भोजन की आदतों की मछली संगत जातियों को एक ही स्थान में बनाये रखना मुशिकल है अत मछली पालन के लिए निम्न प्रकार मछलियों की पैदावार एवं आर्थिक उद्देश्य की दृष्टि से अपनाये जाते है

(1) मिश्रित पालन(मिश्रित पालन किसे कहते है)

इसे मिश्रित मछली खेती कहाँ जाता है इसमें मछलियों के एक संघ संलयन में विभिन्न जातियों की मछलियों को शामिल करना है इसमें विभिन्न प्रकार की आदतों की संगत मछलियों को एक साथ पाला जाता है जिससे तालाब में सभी कार्बनिक संसाधनो को एक दूसरे से नुकसान पहुँचाए बिना ज्यादा मछलियों को प्राप्त कर सके |

(2) एकल पालन(एकल पालन किसे कहते है)

इसमें एक ही जाति की मछली की खेती तालाब में की जाती है जिसमे माँग के अनुसार एक ही उच्च गुणों एवं उच्च उत्पादन की मछलियों को प्राप्त किया जाता है यह तालाब के मीठे पानी एवं नमक के तालाबों में इस पदति को अपनाया जाता है

अमेरिका में केट मछली का एकल पालन किया जाता है झींगा की भी मीठे एवं खारे पानी में इस प्रकार की खेती की जाती है |

(3) एकल लिंग पालन(एकल लिंग पालन किसे कहते है)

इसके अन्तर्गत तालाब में नर अथवा मादा मछली की खेती की जाती है जिसमे मछलियों की अधिकतम उपज लि जा सके |

तिलापिया मछली की अंगुलिका की अवस्था आने पर जब नर एवं मादा मछली का पता चलने लग जाता है तो इस मछली से खेती करके ज्यादा उच्च गुणों युक्त अधिक मात्रा में मछलियों को बाजार में भेजा जाता है

दीमक का वर्गीकरण
केंचुआ का वर्गीकरण

Conclusion

हम आशा करते है कि आज की इस पोस्ट में आपने मत्स्य पालन से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त कर किया होगा साथ में इस से कुछ जानकारी प्राप्त भी किया है अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी को कृपया अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे, धन्यवाद

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