शब्द ‘विदलन’ वॉन बेयर द्वारा दिया गया| विदलन के अन्तर्गत एककोशिकीय युग्मनज से बहुकोशिकीय जीव का परिवर्धन होता है| विदलन को सर्वप्रथम स्वामर्डेम 1738 ने मेंढक के अण्डो में देखा था| तत्पश्चात् स्पेलेन्जॉनी द्वारा प्रथम एवं द्वितीय विदलनो का अध्ययन टोड में किया गया| मेंढक के अण्डे का विस्तृत अध्ययन प्रीवोस्ट एवं डूमास द्वारा किया गया|
विदलन या खण्डीभवन (Cleavage or segmentation)
युग्मज का समसूत्री विभाजन द्वारा लगातार बढ़ती हुई संख्या और घटते हुए आकार की कोशिकाओं में सतत् विखण्डन विदलन कहलाता है| यह खण्डीभवन, कोशिका भवन, आदि नामों से भी जाना जाता है| विदलन के फलस्वरूप बनी पुत्री कोशिकाओं को कोरक खण्ड या ब्लास्टोमियर्स कहते है| भ्रूणीय विकास की इस प्रथम अवस्था में अण्डा समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होता है जिसके फलस्वरूप कोशिकाओं की संख्या तो बढती है परन्तु आकार निरन्तर घटता रहता है| अतः विदलन के समय भ्रूण में वृद्धि नही होती है|
विदलन के दौरान विदलन खाँच युग्मज को कोरक खण्ड में विभाजन विदलित करते है विदलन खाँच युग्मनज को विभिन्न तलों या कोणों, रेखांकित अनुदेधर्य या उदग्र विषुवत रेखीय, अनुप्रस्थ एवं अक्षांशीय आदि में विभाजित करता है|
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विदलन के प्रतिरूप (PATTERNS of CLEAVAGE)
विदलन के परिणामस्वरूप बनी पुत्री कोशिकाएँ कोरक खण्डों का अभिविन्यास ध्रुवीय अक्ष के साथ-साथ विभिन्न प्राणियों में इसकी भिन्न-भिन्न रूपों में उपस्थिति विदलन प्रतिरूप कहलाता है| विभिन्न प्राणियों में निम्नलिखित प्रकार के विदलन प्रतिरूप पाए जाते है|
विदलन का अरीय प्रतिरूप (PATTERN of RADIAL CLEAVAGE)
इसमें विदलन खाँच एक-दूसरे को समकोण पर काटते है| ऐसे विदलन में कोरक खण्डों का एक के ऊपर एक रूप से व्यवस्थित होते है (ऊपरी टायर नीचे के टायर) के ठीक ऊपर स्थित होता है| कोरक खण्ड ध्रुव अक्ष के चारों ओर अरीय सममिति विन्यासित होते है| उदाहरण- अधिकाँश कॉर्डेट्स, सीलेन्ट्रेटा एवं इकाइनोडर्मेटा|
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विदलन का द्विअरीय प्रतिरूप (pattern of biradial cleavage)
इसमें प्रथम दो विदलन खाँच रेखांकित व तृतीय विदलन खाँच अनुदेधर्य तल से होता है| इसके फलस्वरूप आठ कोशिकाओं की एक वक्रित प्लेट निर्मित होती है| इस प्रकार के विदलन में कोरक खण्ड द्विअरीय सममिति में व्यवस्थित होते है| उदाहरण- टीनोफोरा|
विदलन का द्विपाशर्व प्रतिरूप (pattern of bilateral cleavage)
इस प्रकार के विदलन में युग्मज का विभाजन समकोणीय तलों में होने के बावजूद असमान आकार के कोरक खण्डो का निर्माण होता है| इस विदलन प्रतिरूप में द्विपाशर्व सममिति का विकास होता है| उदाहरण – हर्डमानिया, एम्फीऑक्सस, उभयचर एवं उच्च स्तनधारी|
विदलन का सर्पिल प्रतिरूप (pattern of spiral cleavage)
यह विदलन अरीय विदलन का रूपान्तरण होता है| समसूत्री तुर्क की स्थिति ध्रुवीय अक्ष क सम्बन्ध में तिर्यक हो जाने के कारण कोरक खण्डों का घूर्णन हो जाता है| दक्षिणावर्त घूर्णन के फलस्वरूप विदलन दक्षिणावर्त सर्पिल, जबकि वामावर्त घूर्णन वामावर्त सर्पिल प्रतिरूप दर्शाता है| यह संघ-मोलस्का अथवा ऐनेलिडा के सदस्यों में पाया जाता है|
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विदलन के प्रकार (types of cleavage)
विदलन पीतक की मात्रा व वितरण पर निर्भर करता है, जिसके आधार पर विदलन को निम्न दो भागों में विभक्त करते है|
(1) पूर्णभंजी विदलन (Holoblastic cleavage)
पूर्ण विदलन द्वारा खाँचे पूर्ण युग्मनज को विभक्त करती है|यह पुनः दो प्रकार का होता है|
- समान पूर्णभंजी – पूर्णभंजी समान विदलन के पश्चात् सभी कोरक खण्ड समान आकार के होते है| यह सूक्ष्मपीतक तथा अपीतक अण्डो में होता है उदाहरण- स्पंज, सीलेन्ट्रेट, हर्डमानिया, एम्पीऑक्सस, मेटाथीरियन एवं यूथीरियन स्तनी|
- असमान पूर्णभंजी – पूर्णभंजी असमान विदलन के पश्चात् कोरक खण्ड दो प्रकार के छोटे माइक्रोमीयर्स तथा बड़े माइक्रोमीयर्स होते है| यह मध्यपीतक तथा गोलार्द्धपीतक अण्डो में होता है| उदाहरण – मेंढक, एम्फीबिया, मोलस्का एवं निम्न श्रेणी की मछलियाँ|
(2) अपूर्ण या अंशभंजी विदलन
विदलन सम्पूर्ण युग्मनज में नही होता| यह पुनः दो प्रकार का होता है|
- सुपरफीशियल – यह विभाजन अण्डे की केवल सतही पर्त में ही होता है एवं केन्द्र पीतकी अण्डो में पाया जाता है| इस प्रकार के विदलन में केन्द्रक समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होता है, जिसके फलस्वरूप परिधीय कोशिकाद्रव्य बहुकेन्द्रकी बन जाता है प्रत्येक केन्द्रक कोशिकाद्रव्य घेर लिया जाता है|इसे पृष्ठीय विदलन कहते है| उदाहरण कीट|
- डिस्कॉइडल या विम्बाभ या चक्रिकाब – यह पूर्ण विदलन अतिपीतकी अण्डो का लक्षण है, जहाँ जर्मीनल डिस्क में ही विभाजन होता है इसके फलस्वरूप पीतक के ऊपर पुत्री कोशिकाओं की एक परत निर्मित हो जाती है, यह ब्लास्टोडर्म या कोरक चर्म कहलाती है| यह सिफालोपोड्स, अस्थिल मछलियाँ, पक्षियों एवं सरीसृप के अण्डो में पाया जाता है|
विदलन का महत्व
इस प्रक्रम द्वारा एककोशिकीय युग्मनज द्वारा बहुकोशिकीय कोरक तथा कन्दुक का निर्माण होता है| इस प्रक्रम के दौरान निर्मित कोरकगुहा, कन्दुकन प्रक्रिया के समय विकासीय संरचना के लिए आधार एवं स्थान प्रदान करती है|
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