वायुदाब की पेटियां एवं पवने – Air Presser Kise Kehte Hai

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से वायुदाब की पेटियां एवं पवने से सम्बंधित पूरी जानकारी पढ़ेंगे|

वायुदाब या वायुमंडलीय दाब किसे कहते है?

वायुमंडल के चारों और फैला वायुमंडल का आवरण पृथ्वी के धरातल पर जो दबाव डालता उसे वायुदाब कहते है|

वायुदाब की पेटियां

वायुदाब की पेटियां का वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है जैसे कि कम वायुदाब की विषुवतीय शान्त पेटी, अधिक वायुदाब की ध्रुवीय पेटियां, उपोष्ण अधिक वायुदाब की पेटियां तथा उप-ध्रुवीय कम वायुदाब की पेटियां के रूप में वर्णन किया गया है

:- कम वायुदाब की विषुवतीय शान्त पेटी

विषुवत रेखा के दोनों ओर 5 डिग्री उत्तर और 5 डिग्री दक्षिण तक, उच्च तापमान और नमी के कारण इसे डोलड्रम कटिबंध भी कहा जाता है|

:- अधिक वायुदाब की ध्रुवीय पेटियां

उत्ती तथा दक्षिणी ध्रुवों पर बहुत सर्दी से तथा नमी के अभाव के कारण होता है|

:- उपोष्ण अधिक वायुदाब की पेटियां

इन्हें अश्व अक्षांशो की पेटियां भी कहते है| ये प्रायः 30 डिग्री से 35 डिग्री उत्तर तथा दक्षिण में मिलती है| यहाँ भारी ध्रुवीय हवाऐ, हल्की तथा गरम विषुवतीय हवाओं को निरन्तर नीचे उतरने पर विवश करती है, इसलिए यहाँ वायुदाब अधिक है|

:- उप-ध्रुवीय कम वायुदाब की पेटियां

लगभग 60 डिग्री से 65 डिग्री उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशो में है| इनका कारण पृथ्वी का अक्षीय परिभ्रमण है जो इन क्षेत्रों से वायु को ऊपर ही ऊपर ध्रुवों की ओर चला देता है|

हवाएँ क्यों चलती है?

हवाएँ सदैव उच्च वायुदाब के क्षेत्र से कम वायुदाब के क्षेत्र की ओर चलती है, किन्तु पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन के कारण उनकी दिशा में परिवर्तन हो जाता है|

इसकी खोज ‘फैरल’ नामक एक वैज्ञानिक ने की थी और यह नियम दिया कि पृथ्वी-तल पर घूमते हुए पदार्थ उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायी ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बायीं ओर मुड़ जाते है| उसने यह भी बताया कि यह झुकाव भूमध्य रेखा के पास थोड़ा होता है और जैसे-जैसे उच्च अंक्षाशो की ओर जाते है हवा का यह झुकाव बढ़ता जाता है|

स्थानीय हवाएं क्या है?

स्थानीय हवाएं तथा स्थायी हवाएं – ये सदा चलने वाली हवाएं है| ये पृथ्वी के तल पर अधिक वायुदाब पेटियों से कम वायुदाब पेटियों की ओर चलती रहती है| ये वायुदाब की पेटियों की स्थिति से नियंत्रित होती है|

व्यापारिक हवाएं क्या है?

व्यापारिक हवाएं – यह उपोष्ण अधिक वायुदाब पेटियों से विषुवतीय कम वायुदाब पेटियों की ओर चलती है| ये उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व से दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से चलती है| इन्हें पूर्वा या पूर्वी हवाएं कहते है|

पछुवा हवाएँ क्या है?

पछुवा या पश्चिमी हवाएँ – ये उपोष्ण अधिक वायुदाब पेटियों से क्रमशः उत्तरी तथा दक्षिणी उपध्रुवीय कम वायुदाब पेटियों की ओर चलती है| उत्तरी गोलार्द्ध में ये दक्षिण-पश्चिम से और दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से चलती है|

ध्रुवीय हवा क्या है?

ध्रुवीय हवाएं – उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों के अधिक वायुदाब के क्षेत्रों से क्रमशः उत्तरी तथा दक्षिणी उप-ध्रुवीय वायुदाब वाली पेटियों की ओर चलती है|

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दैनिक हवाएं

जलीय तथा थलीय समीर –स्थल, पानी की अपेक्षा शीघ्र तप जाता है और यह ठण्डा भी अधिक शीघ्रता से हो जाता है| इस प्रकार दिन के समय स्थल समुद्र की तुलना में अधिक गरम होता है और रात के समय अधिक ठण्डा|

गर्मी से वायु हल्की होकर ऊपर को उठती है और वायुदाब कम हो जाता है| अतः दिन के समय हवाएं समुद्र से स्थल की ओर चलती है| रात के समय स्थल से समुद्र की ओर चलती है| इनको क्रमशः जलीय समीर और थलीय समीर का नाम दिया जाता है| in हवाओं से तटीय प्रदेशों का मौसम सुहावना बना रहता है|

मानसूनी हवाएं किसे कहते है?

मानसून हवाएं – ये हवाएं भी एक प्रकार की बहुत बड़े पैमाने पर ‘जलीय’ और ‘थलीय’ हवाएं है, परन्तु ये दिन-रात के साथ न बदल कर ग्रीष्म और शीत ऋतुओं के साथ अपनी दिशा बदलती है|

ये प्रायः हिन्द महासागर और उसके आस-पास के प्रदेश में चलती है| गर्मियों में ये हिन्द महासागर से भारत आदि देशों की ओर चलती है और घनी वर्षा करती है| सर्दियों में ये एशिया के विशाल भू-भाग से हिन्द महासागर की ओर चलती है| अतः इनसे वर्षा कम होती है|

स्मरण रहे कि गर्मियों में स्थल खूब गरम हो जाता है और समुद्र अपेक्षाकृत कम गरम होता है, तथा सर्दियों में स्थल बहुत ठण्डा होता है और समुद्र-जल कम ठण्डा होता है| ठण्डे स्थान पर वायुदाब अधिक होता है और गरम स्थान पर कम होता है हवाएं अधिक वायुदाब के क्षेत्र से कम वायुदाब के क्षेत्र को चलती है यही मानसून हवाओं की विपरीत दिशाओं का कारण है|

चक्रवात और प्रतिचक्रवात क्या है?

चक्रवात कम वायुदाब का केन्द्र होता है| यह कुछ दिनों तक बना रहता है| इसके चारों ओर अधिक वायुदाब बन जाता है तब हवाएं बाहर से भीतर को घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत उत्तरी गोलार्द्ध में तथा घड़ी की सुई की दिशा में दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्कर लगाती हुई चलती है|

इसके विपरीत यदि बीच में अधिक वायुदाब और उसके चारों ओर कम वायुदाब हो जाए, तो हवाएं अंदर से बाहर को घड़ी की सुई की दिशा में उत्तरी गोलार्द्ध में तथा घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में चलती है इन्हें प्रतिचक्रवात कहते है| चक्रवात में वर्षा होती है तथा प्रतिचक्रवात में मौसम साफ होता है|

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