मानक समय रेखा क्या है तथा अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा in hindi

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम मानक समय रेखा, ग्रीनविच समय तथा अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा और इसकी विशेषताएँ के बारे में पूरी जानकारी पढ़ेंगे|

मानक समय रेखा क्या है

एक प्रकार से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रत्येक देशान्तर रेखा का मध्यान्ह उस समय होता है जब देशांतर रेखा ठीक सूर्य के सामने होती है| इस कारण एक ही देश में भी प्रत्येक देशान्तर के साथ-साथ समय में 4 मिनट का अंतर आ जाता है|

यदि प्रत्येक देशान्तर रेखा के अनुसार उस देशान्तर रेखा पर स्थित नगरों का समय गिना जाये, तो रेलगाड़ियों, बसों, आकाशवाणी आदि के कार्य में बड़ी असुविधा उत्पन्न हो जायेगी| अतः किसी देश अथवा क्षेत्र विशेष में किसी एक मध्यवर्ती देशान्तर रेखा के स्थानीय समय को पूरे देश अथवा क्षेत्र का समय मान लिया जाता है| ऐसे समय को ‘मानक समय’ कहते है|

सौर उर्जा

भारत की 821/2 डिग्री पूर्व देशान्तर जोकि इलाहाबाद के नजदीक मिर्जापुर से गुजरती है के समय को पूरे देश का समय मान लिया गया है| इसका तात्पर्य है कि 821/2डिग्री पूर्व देशांतर पर जब मध्यान्ह होता है, तो पूरे देश में मध्यान्ह मान लिया जाता है|

रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया आदि पूर्व-पश्चिम दिशा में अति विस्तृत देशो में एक से अधिक मानक समय माने जाते है, जैसे पश्चिमी प्रदेश का, केन्द्रीय प्रदेश का, पूर्वी प्रदेश का इत्यादि|

जब भारत में दोपहर के 12 बजे होते है तो बांग्लादेश में 121/2 बजे तथा पाकिस्तान में 111/2 बजे होते है|

ग्रीनविच समय क्या है?

ग्रीनविच समय क्या है? -प्रमुख मध्यान्ह रेखा के समय को ही ग्रीनविच समय कहते है| प्रमुख मध्यान्ह रेखा लन्दन के समीप ग्रीनविच की वेधशाला पर होकर निकलती है| अन्तर्राष्ट्रीय मार्गो पर वायुयान तथा जलयान चलाने वाली कम्पनियाँ अपनी यात्रा-विवरण पुस्तिकाओं में ग्रीनविच समय का ही अधिकतर उल्लेख करती है|

ऐसा करने से यात्रियों को समय का ही अधिकतर उल्लेख करती है ऐसा करने से यात्रियों को समय की सही गणना करने में सुविधा हो जाती है भारत का मानक समय, ग्रीनविच समय से 51/2 घण्टे अधिक है| इसको इंडियन स्टेंडर्ड टाइम (I.S.T.) भी कहा जाता है|

कागज का अविष्कार किसने किया?

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा

जैसा की आपको ज्ञात है, पृथ्वी गोल है, अतः प्रत्येक स्थान पर, पूर्व या पश्चिम किसी भी दिशा में यात्रा करते हुए पहुँच जा सकता है| भारत से अमेरिका जाने के लिए पश्चिम या पूर्व किसी भी दिशा में यात्रा प्रारम्भ की जा सकती है|

यदि पूर्व की ओर यात्रा प्रारम्भ करते है तो प्रत्येक 15 डिग्री देशान्तर पार करने पर घड़ी को एक घंटा आगे करना होगा तथा पश्चिम की ओर यात्रा करने पर प्रत्येक 15 डिग्री देशान्तर पार करने पर घड़ी को एक घंटा पीछे करना होगा|

कागज कैसे बनता है?

मान लीजिए एक यात्री लन्दन से पूर्व की ओर यात्रा करते हुए 180 डिग्री देशान्तर रेखा पर पहुँचता है और एक अन्य यात्री उसी समय पश्चिम की ओर यात्रा करते हुए 180 डिग्री पर पहुँचता है तो पूर्व की ओर यात्रा करने वाले व्यक्ति को 180 डिग्री देशान्तर रेखा पर पहुँचते-पहुँचते अपनी घड़ी को 12 घण्टे आगे करना होगा और पश्चिम की ओर यात्रा करने वाले व्यक्ति को उसी देशांतर रेखा पर पहुँचते-पहुँचते अपनी घड़ी को 12 घण्टे पीछे करना होगा और इस प्रकार दो व्यक्ति अलग-अलग दिशाओं से एक ही स्थान पर पहुँच कर अनुभव करेंगे कि उनके समय में 24 घण्टे अर्थात एक दिन का अंतर हो गया है|

इस समस्या के निराकरण के लिए 180 डिग्री देशान्तर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा मान लिया गया है| प्रत्येक नये दिन का प्रारम्भ इस रेखा से माना जाता है| इस रेखा को पश्चिम से पूर्व की ओर पार करने पर एक दिन कम हो जाता है तथा पूर्व से पश्चिम की ओर पार करने पर आगे एक दिन गिना जाता है|

प्रकाश की उत्पति

उदाहरण के लिए जो यात्री इस रेखा को पश्चिम से पूर्व की ओर सोमवार 5 बजे सांय को पार करता है तो दूसरी ओर रविवार को 5 बजे सांय माना जाता है और जो रविवार को पूर्व से पश्चिम की और पार करता है वहाँ अगला दिन सोमवार माना जाता है|

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की विशेषताएँ

  • यह रेखा आर्कटिक महासागर में 75डिग्री उत्तरी अक्षांश पर महाद्वीप से बचने के लिए पूर्व की ओर मोड़ी गई है और बेरिंग जलसन्धि में से निकाली गई है|
  • बेरिंग समुद्र में यह पश्चिम की ओर मुड़ती है|
  • फ़िजी द्वीप समूह तथा न्यूजीलैंड को दूर रखने के लिए यह दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पूर्व कीओर मुड़ती है|
  • अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि इस रेखा को स्थल भाग से दूर रखा गया है ताकि एक ही देश में रहने वाले लोगों को असुविधा न हो| यदि अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा किसी देश के बीच में होकर निकलती तो उसके दोनों ओर वाले देशों को एक ही दिन में दो अलग-अलग तिथियाँ माननी पड़ती और इस प्रकार उन्हें असुविधा होती है|

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