दोस्तों में इस कोर्स में विधुत सेल, विधुत सेल क्या होता है तथा प्राथमिक विधुत सेल और द्वितीय विधुत सेल विधुत सेल शक्ति का मापन आदि बहुत जानकारी पायेंगे|
विधुत सेल(Electric cell)
- यह परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच आवश्यक विभवान्तर बनाकर विधुतधारा के प्रवाह को लगातार बनाए रखने वाली युक्ति है|
- इसमें दो धातु की छड़े होती है, जिन्हें कैथोड़ और एनोड कहा जाता है|(+,-)
- ये छड़े विभिन्न प्रकार के विलयनो में डूबी हुई रहती है, जिन्हें विधुत अपघट्य कहते है|
प्राथमिक(primary) और द्वितीयक सेल
- प्राथमिक सेल- इनमें रासायनिक ऊर्जा सीधे विधुतमें परिवर्तित होती है; जैसे – वोल्टीय सेल, लेक्लांशे सेल, डेनियल सेल, शुष्क सेल इत्यादि|
- द्वितीय सेल – इनमें पहले विधुत ऊर्जा को रासायिनक ऊर्जा में और फिर रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है| इसमें व्यहत रासायनिक ऊर्जा को पुनः आवेशन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है|
- ध्रुवण – सेलों में प्रतिक्रिया में बाधा पहुँचाते है| जैसे-हाइड्रोजन का बुलबुला बनना|
प्रतिध्रुवक पदार्थ – मैगनीज डाईऑक्साइड(MnO2)
विधुत शक्ति का मापन क्या होता है
1 वाट = 1 जूल/सेकेंड = शक्ति; BOT इकाई = बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट;
Horse power(HP) = 746 वाट; 1 BOT = 1 KLC =36×105 J
नोट :-
- मकानों में बिजली के मीटरों द्वारा B.O.T. इकाई ही प्राप्त की जाती है और यह ‘वाटेज’ पर आधारित होती है|
- फ्यूज- यह टिन एवं लेड की एक मिश्र धातु है, जिसका गलनांक कम एवं प्रतिरोध उच्च होता है| जब विधुत धारा का मान परिपथ में बढ़ता है, फ्यूज का तार गलनांक कम होने के कारण गल जाता है| यह परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है|
- बिजली का बल्ब – इसका फिलामेंट टंगस्टन का होता है| बल्ब के भीतर हवा इसलिए नहीं भरी जाती है कि टंगस्टन ऑक्सीकृत होकर भंगुर हो जाएगा| निष्क्रिय गैस इसलिए भरी जाती है, ताकि टंगस्टन के ऑक्सीकरण को रोका जा सके और बल्ब को काला होने से बचाया जा सके| टंगस्टन का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है|
संधारित्र(Capacitor) क्या है
यह युक्ति, जिस पर आवेश को स्थितिज ऊर्जा के रूप में जमा किया जाए संधारित्र कहलाता है| कोई संधारित्र दो चालकों का बना होता है, जिसमें एक आवेशित एवं दूसरा भूमि से जुड़ा रहता है| इसका मुख्य कार्य चालक की धारिता को बढ़ाना है|
- श्रेणीक्रम – इस परिस्थिति में यदि तीन संधारित्र जिनकी धारिता C1, C2, और C3 है तथा परिणामी धारिता C हो तो, 1/C =1/ C1+1/ C2+1/ C3
- समानान्तर क्रम में – C= C1+ C2+ C3
डायनेमो किसे कहते है
यह यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलने वाला यंत्र है| यह चुम्बकीय प्रेरणा के सिद्धांत पर आधारित है|
भँवर धारा किसे कहते है
किसी धातु के टुकड़े को परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखने या स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाने पर उसमे प्रेरित धाराएं भंवर धारा कहलाती है| यह चक्करदार होती है|
ट्रांसफार्मर क्या है
यह एक युक्ति है, जो प्रत्यावर्ती धारा की उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता में या निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में बदलती है|
- Step up type ट्रांसफार्मर निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में परिणत करता है|
- Step down type ट्रांसफार्मर उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता में परिणत करता है|
जिस कुण्डली में धारा प्रवाहित की जाती है वह प्राथमिक एवं दूसरी कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते है|
कूलम्ब का नियम क्या है
- समान आवेश एक-दूसरे को विकर्षित एवं असमान आवेश आकर्षित करते है|
- दो आवेश जिनके परिमाण q1 और q2 है के बीच लगनेवाला बल F=A, q1 q2/d2 जहाँ d दोनों आवेशोके बीच की दूरी तथा A एक स्थिरांक है|
विधुत क्षेत्र की तीव्रता क्या है
किसी विधुत क्षेत्र में इकाई धनावेश पर लगनेवाला बल उस क्षेत्र की तीव्रता कहलाता है|
विधुत स्थैतिक
किसी चालक पर दूसरे आवेशित चालक के कारण आवेशित होने की क्रिया विधुत स्थैतिक प्रेरण कहलाता है|
स्थिर वैधुतकी क्या है
स्थित वैधुतकी भौतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत विभव, वोल्ट, विभवान्तर, विधुत धारा, चालक आदि का अध्ययन किया जाता है|
विभव(Potential) क्या है
इकाई धनावेश को किसी बिन्दु पर अनन्त से लाने में सम्पन्न कार्य को उस बिन्दु का विभव कहते है इसका S.I. मात्रक वोल्ट(V) है|
वोल्ट(V) क्या है
एक कूलम्ब के आवेश को यदि किसी बिन्दु तक लाने में 1 जूल का कार्य करना पड़ता है तो उस बिन्दु का विभव एक वोल्ट कहलाता है|
विभवान्तर(Potential Difference) का मात्रक
दो बिन्दुओं के बीच के विभव का अंतर विभवान्तर कहलाता है| इसका मात्रक वोल्ट ही होता है|
कार्य=विभव×आवेश
जूल-वोल्ट×कूलम्ब
चालक किसे कहते है
जिन पदार्थो से होकर आवेश आसानी से प्रवाहित हो जाता है, वे पदार्थ विधुत के चालक होते है|
विधुत परिपथ –ऐसी व्यवस्था जिसमे विधुत धारा प्रवाहित होती है|
विधुत धारा की परिभाषा
विभवान्तर के अधीन आवेश के प्रवाह को विधुतधारा कहते है| विधुतधारा की दिशा इलेक्ट्रोनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत होती है, अर्थात् विधुतधारा की दिशा उच्च विभव से निम्न विभव की और होती है|
विधुतधारा =S.I. मात्रक एम्पीयर होता है|
एम्पीयर=कूलम्ब/सेकेण्ड
विधुत परिपथ किसे कहते है
ऐसी व्यवस्था जिसमे विधुत धारा प्रवाहित होती है|
दिष्ट(D.C.) धारा किसे कहते है
वह धारा जिसकी दिशा हमेशा एक समान हो दिष्ट धारा कहलाता है|
प्रत्यावर्ती धारा(A.C.) किसे कहते है
जब किसी खास समय तक धारा एक दिशा में और उतने ही समय तक विपरीत दिशा में बारी-बारी से प्रवाहित होती है|
आमीटर क्या है
इस युक्ति के द्वारा विधुत परिपथ की धारा मापी जाती है| यह परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है| आमीटर एक अत्यंत उच्च प्रतिरोधयुक्त गैल्वेनोमीटर है और यह परिपथ में श्रेणीक्रम में जुड़ा रहता है|
वोल्टमीटर क्या है
इस युक्ति की सहायता से परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर की माप की जाती है| इसे परिपथ में समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है|
गैल्वेनोमीटर क्या है
परिपथ में धारा की उपस्थिति का पता लगाया जाता है|
शंट क्या है hindi Me
यह एक अत्यंत कम प्रतिरोध का तार है| इसे गैल्वेनोमीटर में समानान्तर क्रम में जोड़ कर गैल्वेनोमीटर का परास बढाया जाता है|
प्रतिरोध किसे कहते है
लक का वह गुण जो विधुतधारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है| किसी पदार्थ के इकाई परिच्छेद वाले इकाई लम्बाई के खंड के प्रतिरोध को विशिष्ट प्रतिरोध कहते है| इसके प्रतिलोम को विशिष्ट चालकता कहते है|
ओम का नियम क्या होता है
अपरिवर्तित भौतिक अवस्थाओ के लिये चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर(V) एवं उसमे बहनेवाली धारा(I) का अनुपात नियम होता है|
ओम :- 1 वोल्ट विभवान्तर वाले परिपथ से यदि एक एम्पीयर की धारा प्रवाहित हो तो उसे परिपथ का प्रतिरोध एक ओम होगा|
ताप परिवर्तन का प्रतिरोध का प्रभाव
ताप बढने पर धातु के तार का प्रतिरोध बढ़ता है| प्रति इकाई ताप वृद्धि से विधुत चालक के प्रतिरोध में जो आंशिक वृद्धि होती है, उसे उस चालक पदार्थ का प्रतिरोध ताप गुणांक कहते है|
नोट – कुछ अधातुएँ जैसे- कार्बन की छड़ या नाइक्रोम का प्रतिरोध ताप गुणांक बहुत अधिक होता है|
प्रतिरोधों का मान चालक की लम्बाई बढने से बढ़ता है|
प्रतिरोधक का समूहीकरण
- श्रेणीक्रम – यदि R1 एवं R2 ओम के दो प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हो तो परिणामी प्रतिरोध R=R1+R2
- समानान्तर क्रम – इस स्थिति में परिणामी प्रतिरोध 1/R =1/R1+1/R2
किरचौफ(Kirchoff) का नियम
- किसी संधि पर पहुंचने वाली सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है|
- किसी बन्द परिपथ में विभव में परिवर्तन का योग शून्य होता है|
उपयोग :-
- व्हीटस्टोन सेतु- यह चार प्रतिरोधों की व्यवस्था है, जिसमें एक प्रतिरोध की माप अन्य तीन प्रतिरोधों के पद में की जाती है|
- मीटर सेतु
- पोस्ट ऑफिस बॉक्स
विभवमापी
इसके द्वारा सेल का विधुतवाहक बल या विभवान्तर मापा जाता है|
विधुतधारा का रासायनिक प्रभाव
विधुत धारा इलेक्ट्रोनोंका प्रवाह है, जो रासायनिक बंधन द्वारा एक-दूसरे से या केन्द्रक से जुड़े रहते है| अत: विधुतधारा का रासायनिक प्रभाव अवश्यंभावी है|
विधुत अपघटन
किसी धातु में विधुत क्षेत्र उत्पन्न करने पर दो आवेशित भाग -ऋणायन एवं धनायन में अपघटित होना विधुत अपघटन कहलाता है| घनावेशित कण कैथोड़ को ओर और ऋणावेशित कण एनोड की ओर जाते है|
विधुत लेपन
किसी विधुत अपघटन प्रक्रम में एक धातु की पतली परत को दूसरे धातु पर चढ़ाना विधुत लेपन कहलाता है|
विधुत लेपन का महत्व
- सुरक्षा के लिए जैसे लोहे को जंग से बचाने के लिए|
- सजावट के लिए, जैसे तांबे पर चाँदी या सोने की परत|
यहाँ भी पढ़े :- प्रकाश की उत्पत्ति के मुख्य सिद्धांत फोर्मेट प्रिंटर क्या है
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