जोधपुर में नाथ सम्प्रदाय के महामंदिर का निर्माण मानसिंह राठौड़ ने करवाया था ।
माननाथी सम्प्रदाय की पीठ जोधपुर है जबकि बैरागी सम्प्रदाय की पीठ राताडुंगा (पुष्कर अजमेर) में है।
मानसिंह ने आयस देव नाथ को अपना गुरू बनाया था
भारत में नाथ सम्प्रदाय की स्थापना मत्स्येन्द्र नाथ ने की
शेव सम्प्रदाय:-
मुख्य पीठ :- उदयपुर में है।
शैव धर्म को मानने वाली अन्तिम रियासत जोधपुर है
शैव सम्प्रदाय 4 भागो में बाटा गया है।
पशुपात – पशुपात सम्प्रदाय सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है। पशुपात सम्प्रदाय की स्थापना दण्डाधारी लकुलीश ने की । इस सम्प्रदाय के लोग दिन में कई बार स्नान करते है। पशुपात सम्प्रदाय से संबधिंत गुरू विश्व रूप का उल्लेख हर्ष पर्वत शिलालेख 975 ई. में मिलता है।
कापलिक :- यह भेरव को शिव का अवतार मानते है ।
लिंगायत :- इसे वीर शैव सम्प्रदाय भी कहते है।
काश्मीरक :-
निम्बार्क :-
अन्य नाम :-हँस,सन्कादी,द्वैतमत ,परशुरामजी,नीमावत(मारवाड़ में) सम्प्रदाय
निम्बार्क सम्प्रदाय की स्थापना निम्बाकाचार्य (बचपन का नाम भास्कार) ने की ।
निम्बाकाचार्य ने दैतादेत या भैदाभेद दर्शन प्रतिपादित किया
राजस्थान में निम्बार्क सम्प्रदाय पीठ की स्थापना परशुराम जी(जन्म ठिकरिया सीकर ) ने की थी।
यहाँ पर कृष्ण व राधा की युगल रूप में पूजा की जाती है।
प्रमुख पीठ :-सलेमाबाद (अजमेर)
रूपनगढ़ नदी के किनारे है (भारत में मुख्य पीठ वृन्दावन उत्तरप्रदेश)
गोडिया सम्प्रदाय :-
इस सम्प्रदाय की स्थापना माध्वाचार्य ने की।
माध्वाचार्य ने द्वैतवाद मत दिया
राजस्थान में मुख्य पीठ गोविन्द देव जी मंदिर (जयपुर) में है।
अन्य पीठ :- मदन मोहन (करौली)
वल्लभ सम्प्रदाय :–
इसे पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय भी कहते है।
स्थापना :- वल्लभाचार्य ने
वल्लभाचार्य ने शुद्धादैत दर्शन का प्रतिपादन किया
वल्लभाचार्य की 84 बैठकों में से राजस्थान में सिर्फ एक बैठक अजमेर में हुई ।
मुख्य पीठ :- नाथद्वारा (राजसमन्द)
किशनगढ़ का शासक सावंत सिंह (नागरीदास) इसी सम्प्रदाय को मानता था
वल्लभ सम्प्रदाय की भारत में 7 पीठ है जिसमें से 5 राजस्थान में है।
यह पीठे दो भरतपुर,दो राजसमंद व एक कोटा में है।
वल्लम सम्प्रदाय का मूल मंत्र श्रीकृष्ण शरणम गम: है
वल्लभ सम्प्रदाय के मन्दिरों में दिन में आठ बार पूजा होती है।
रामानुज सम्प्रदाय –
रामानुजाचार्य ने इसकी स्थापना की ।
इसने विशिष्ट द्वैतवाद विषय का प्रतिपादन किया। |
प्रमुख पीठ :- गलता (जयपुर) ।
गलता पिठ की स्थापना कृष्णदास पयहारी ने की थी। ।
सीकर में पीठ की स्थापना अग्रदास जी ने की थी ।
गलता को मंकी वैली, उत्तर का तोताद्री व काशी भी कहते है।
रामानन्दी सम्प्रदाय :-
सस्थापक :- रामानन्दजी
मुख्य पीठ :- गलता (जयपुर)
पीठ की स्थापना कृष्णदास पयहारी ने की है।
रामानुज व रामानन्दी सम्प्रदाय के मध्य गलता पीठ को लेकर विवाद है।
रामानन्दी सम्प्रदाय को सवाई जयसिंह ने आश्रय दिया तथा रामरासा की रचना करवाई।
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