राजस्थान के प्रमुख संप्रदाय

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नाथ सम्प्रदाय-

  • मुख्य पीठ जोधपुर में है
  • अन्य नाम -सिद्धमार्ग ,योग मार्ग ,अवधूत सम्प्रदाय
  • जोधपुर में नाथ सम्प्रदाय के महामंदिर का निर्माण मानसिंह राठौड़ ने करवाया था ।
  • माननाथी सम्प्रदाय की पीठ जोधपुर है जबकि बैरागी सम्प्रदाय की पीठ राताडुंगा (पुष्कर अजमेर) में है।
  • मानसिंह ने आयस देव नाथ को अपना गुरू बनाया था
  • भारत में नाथ सम्प्रदाय की स्थापना मत्स्येन्द्र नाथ ने की

शेव सम्प्रदाय:-

  • मुख्य पीठ :- उदयपुर में है।
  • शैव धर्म को मानने वाली अन्तिम रियासत जोधपुर है
  • शैव सम्प्रदाय 4 भागो में बाटा गया है।
  1.  पशुपात – पशुपात सम्प्रदाय सबसे प्राचीन सम्प्रदाय है।
    पशुपात सम्प्रदाय की स्थापना दण्डाधारी लकुलीश ने की ।
    इस सम्प्रदाय के लोग दिन में कई बार स्नान करते है।
    पशुपात सम्प्रदाय से संबधिंत गुरू विश्व रूप का उल्लेख हर्ष पर्वत शिलालेख 975 ई. में मिलता है।
  2. कापलिक :- यह भेरव को शिव का अवतार मानते है ।
  3.  लिंगायत :- इसे वीर शैव सम्प्रदाय भी कहते है।
  4. काश्मीरक :-

निम्बार्क :-

  • अन्य नाम :-हँस,सन्कादी,द्वैतमत ,परशुरामजी,नीमावत(मारवाड़ में) सम्प्रदाय
  • निम्बार्क सम्प्रदाय की स्थापना निम्बाकाचार्य (बचपन का नाम भास्कार) ने की ।
  • निम्बाकाचार्य ने दैतादेत या भैदाभेद दर्शन प्रतिपादित किया
  • राजस्थान में निम्बार्क सम्प्रदाय पीठ की स्थापना परशुराम जी(जन्म ठिकरिया सीकर ) ने की थी।
  • यहाँ पर कृष्ण व राधा की युगल रूप में पूजा की जाती है।
  • प्रमुख पीठ :-सलेमाबाद (अजमेर)
  • रूपनगढ़ नदी के किनारे है (भारत में मुख्य पीठ वृन्दावन उत्तरप्रदेश)

गोडिया सम्प्रदाय :-

  • इस सम्प्रदाय की स्थापना माध्वाचार्य ने की।
  • माध्वाचार्य ने द्वैतवाद मत दिया
  • राजस्थान में मुख्य पीठ गोविन्द देव जी मंदिर (जयपुर) में है।
  • अन्य पीठ :- मदन मोहन (करौली)

वल्लभ सम्प्रदाय :

  • इसे पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय भी कहते है।
  • स्थापना :- वल्लभाचार्य ने
  • वल्लभाचार्य ने शुद्धादैत दर्शन का प्रतिपादन किया
  • वल्लभाचार्य की 84 बैठकों में से राजस्थान में सिर्फ एक बैठक अजमेर में हुई ।
  • मुख्य पीठ :- नाथद्वारा (राजसमन्द)
  • किशनगढ़ का शासक सावंत सिंह (नागरीदास) इसी सम्प्रदाय को मानता था
  • वल्लभ सम्प्रदाय की भारत में 7 पीठ है जिसमें से 5 राजस्थान में है।
  • यह पीठे दो भरतपुर,दो राजसमंद व एक कोटा में है।
  • वल्लम सम्प्रदाय का मूल मंत्र श्रीकृष्ण शरणम गम: है
  • वल्लभ सम्प्रदाय के मन्दिरों में दिन में आठ बार पूजा होती है।

रामानुज सम्प्रदाय

  • रामानुजाचार्य ने इसकी स्थापना की ।
  • इसने विशिष्ट द्वैतवाद विषय का प्रतिपादन किया। |
  • प्रमुख पीठ :- गलता (जयपुर) ।
  • गलता पिठ की स्थापना कृष्णदास पयहारी ने की थी। ।
  • सीकर में पीठ की स्थापना अग्रदास जी ने की थी ।
  • गलता को मंकी वैली, उत्तर का तोताद्री व काशी भी कहते है।

रामानन्दी सम्प्रदाय :-

  • सस्थापक :- रामानन्दजी
  • मुख्य पीठ :- गलता (जयपुर)
  • पीठ की स्थापना कृष्णदास पयहारी ने की है।
  • रामानुज व रामानन्दी सम्प्रदाय के मध्य गलता पीठ को लेकर विवाद है।
  • रामानन्दी सम्प्रदाय को सवाई जयसिंह ने आश्रय दिया तथा रामरासा की रचना करवाई।
  • विशेष तथ्य :-

निर्गुण उपासक :-

  • जाम्भो जी, जसनाथ जी, दादू दयाल जी, रामचरन जी, रज्जब जी, संत दरियाव जी, हरीरामदास जी, हरिदास जी, राम दास जी, धन्ना जी, कबीर जी, रैदास जी,
  • पीपा जी, लाल दास जी.गुरूनानक

सर्गुण उपासक :-

  • शैव सम्प्रदाय,नाथ सम्प्रदाय ,रामानुज सम्प्रदाय,रामानन्दी सम्प्रदाय,निम्बार्क सम्प्रदाय,वल्लभ सम्प्रदाय, गौडिया सम्प्रदाय,मीरा बाई,गवरी बाई,भक्त कवि दुर्लभ जी

सर्गुण व निर्गुण उपासक :

  • संत मावजी,चरण दास जी,दया बाई व सहजो बाई
  • रसिक सम्प्रदाय के प्रवर्तक अग्रदास जी है।
  • मूलकनाथ का संबध गरीबदासी पंथ से है।

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