Kagaj kaise banta hai in hindi || कागज़ कैसे बनता है?

कागज़ कैसे बनता है?

कागज का आविष्कार मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आज के डिजिटल युग में भी, कागज का महत्व कम नहीं हुआ है। यह लेख कागज के निर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझाने का प्रयास करेगा।

कागज का इतिहास

कागज का इतिहास बहुत पुराना है। चीन में लगभग 105 ईसा पूर्व, कागज का आविष्कार त्साई लुन नामक व्यक्ति ने किया था। उस समय कागज को पेड़ की छाल, पुराने कपड़ों और पौधों की रेशों से बनाया जाता था। धीरे-धीरे, यह कला पूरी दुनिया में फैल गई।

कागज बनाने की सामग्री

कागज बनाने की प्रक्रिया के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है

  • लकड़ी: सबसे आम सामग्री, जो कागज बनाने के लिए उपयोग की जाती है।
  • रद्दी कागज: पुराने कागज को पुनः चक्रित करके नया कागज बनाया जा सकता है।
  • बाँस: भारत और चीन में, बाँस का भी उपयोग किया जाता है।
  • रुई के टुकड़े: उच्च गुणवत्ता वाले कागज के लिए, रुई के टुकड़ों का भी उपयोग किया जाता है।

कागज बनाने की प्रक्रिया

कागज बनाने की प्रक्रिया को मुख्य रूप से पाँच चरणों में विभाजित किया जा सकता है

  1. कच्चे माल की तैयारी :-   लकड़ी, रद्दी कागज, या अन्य सामग्री को छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और फिर इसे पल्प बनाने के लिए पानी में डाला जाता है। इस मिश्रण को तब तक मिक्स किया जाता है जब तक यह एक गाढ़ा घोल न बन जाए।
  2. पल्पिंग प्रक्रिया :-  इस चरण में, लकड़ी के टुकड़ों को रासायनिक या मैकेनिकल तरीकों से पल्प में बदल दिया जाता है। रासायनिक प्रक्रिया में, लकड़ी के टुकड़ों को रासायनों में डुबोया जाता है ताकि वे नरम हो जाएं और आसानी से टूट सकें। मैकेनिकल प्रक्रिया में, लकड़ी को मशीनों के माध्यम से छोटे टुकड़ों में पीसा जाता है।
  3. सफाई और शोधन :-  पल्प को साफ करने और उसमें से किसी भी प्रकार की अशुद्धियों को निकालने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है। इसके बाद, पल्प को ब्लीचिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता है ताकि इसका रंग सफेद हो जाए।
  4. कागज की शीट बनाना :- साफ और शुद्ध पल्प को एक बड़े टैंक में डाला जाता है। इसे पतली परतों में फैलाया जाता है और एक चलनी के माध्यम से निकाला जाता है। चलनी में से पानी निकल जाता है और पल्प की एक पतली शीट बन जाती है। इस शीट को रोलर्स के माध्यम से दबाया जाता है ताकि इसमें से बचा हुआ पानी भी निकल जाए।
  5. ड्राइंग और फिनिशिंग :- दबाने के बाद, कागज की शीट को सुखाया जाता है। इसे ड्रायर मशीनों में डाला जाता है जहां गरम हवा के माध्यम से इसे पूरी तरह से सुखाया जाता है। सुखाने के बाद, कागज की शीट को रोलर्स के माध्यम से फिनिश किया जाता है ताकि इसकी सतह चिकनी हो जाए। इसके बाद, इसे विभिन्न आकारों में काटा जाता है और पैक किया जाता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

कागज बनाने की प्रक्रिया में पानी और ऊर्जा की बहुत खपत होती है, और यह प्रक्रिया पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, आजकल रीसाइक्लिंग और पर्यावरण-मित्र तकनीकों का उपयोग बढ़ता जा रहा है।

रीसाइक्लिंग का महत्व

पुराने कागज को पुनः चक्रित करके नया कागज बनाना पर्यावरण के लिए लाभकारी होता है। यह प्रक्रिया न केवल वनों की कटाई को कम करती है बल्कि ऊर्जा और पानी की भी बचत करती है। रीसाइकलिंग प्रक्रिया में, पुराने कागज को पल्प में बदला जाता है और फिर से नई शीट बनाई जाती है।

स्थायी कागज उत्पादन

कई कंपनियां अब स्थायी कागज उत्पादन की ओर बढ़ रही हैं। वे नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कर रही हैं और उत्पादन प्रक्रिया में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर रही हैं।

निष्कर्ष

कागज का निर्माण एक जटिल और तकनीकी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न चरण शामिल हैं। हालांकि यह प्रक्रिया पुरानी है, लेकिन आधुनिक तकनीक ने इसे अधिक कुशल और पर्यावरण-मित्र बना दिया है। कागज हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और इसकी महत्वता को ध्यान में रखते हुए हमें इसे जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए और जहां संभव हो, रीसाइक्लिंग को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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