डाकन प्रथा राजस्थान में –
राजस्थान में अनेक प्रथाए प्रचलित है इनमे से ही एक है डाकन प्रथा इस लेख में आप जानेंगे की राजथान में डाकन प्रथा क्या थी ? और राजस्थान में डाकन प्रथा को कब बंद किया गया ?
डाकन प्रथा क्या थी ?
डाकन प्रथा एक कुप्रथा थी जो मेवाड़ी दलित समाज में प्रचलित थी और यह , विशेषकर भील मीना आदि रुढ़िवादी जातियों में प्रचलित थी। आदिवासी जातियों में यह अंधविश्वास व्याप्त था कि मृत व्यक्ति की अतृप्त आत्मा जीवित व्यक्तियों को कष्ट पहुँचाती है।
ऐसी आत्मा यदि पुरुष के शरीर में प्रवेश करती है, तो उसे ‘भूत लगना’ तथा स्त्री के शरीर में प्रवेश करने पर उसे ‘चुड़ैल लगना’ कहा जाता था। चुड़ैल प्रभावित स्त्री को डाकन कहा जाता था।
क्या आप जानते है की राजस्थान में डाकन प्रथा पर रोक किसने व कब लगाईं ? _ राजस्थान में डाकन प्रथा पर रोक सन 1853 में उदयपुर में लगाईं गई थी तथा इस प्रथा पर रोक स्वरूप सिंह ने लगाई।
यह प्रथा सामान्यतः आदिवासी भील और मीणाओं में प्रचलित है।
अब आप जान गए होंगे की डाकन प्रथा किनमे प्रचलित थी तथा डाकन प्रथा पर किसने रोक लगाई और इस प्रथा को कब रोक लगाईं गई ? तथा डाकन प्रथा क्या थी ?