इस लेख में आप आमेर महल से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करेंगे आप जानेंगे की आमेर महल का निर्माण कब व किसने किया ? साथ ही आप आमेर महल से सम्बन्धित बहुत सी रोचक जानकारी प्राप्त करेंगे अतः इस लेख को पूरा पढ़े
आमेर किला -आमेर किले का इतिहास (History Of Amer Fort)
आमेर किला – यह आमेर का किला भारत देश के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले से 11 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है| और यह किला राजस्थान के पर्यटन स्थलों में एक है क्योंकि ये किला देखने योग्य मशहूर है| जिससे यह राजस्थान के विशाल किलो में से एक किला यह भी है|
History Of Amer Fort-आमेर किले का इतिहास
आमेर के इस किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 16वीं शताब्दी में करवाया गया था| जबकि राजा मानसिंह के शासकों एवं उत्तराधिकारीयों ने इस किले का नवीनीकरण में लगभग 150 सालों तक काम किया था|
वैसे तो इस आमेर के किले के निर्माण से पता चलता है कि यह पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका है| जिसका निर्माण देखा जाये तो मीनास नामक जनजाति द्वारा करवाया गया था|
यह आमेर का किला सन् 1599 में बना होने कारण आमेर किला कहलाता है| “मैंने क्रेमलिन में जो कुछ देखा है ! और अलब्रह्मा के बारे में जो कुछ भी सुना है, उससे ही बढ़कर ये महल है यह आमेर किले कि सुन्दरता देखकर बिशप हैबर ने लिखा था|
आमेर दुर्ग एवं आमेर किले का इतिहास का परिचय
Query :- दुर्ग का निर्माण कौनसी सन् में हुआ? – सन् 1592
Query :- आमेर दुर्ग का निर्माण कौनसी शताब्दी में करवाया गया? – 16वीं शताब्दी
Query :- आमेर दुर्ग का निर्माण किसने करवाया? – राजा मानसिंह प्रथम
Query :- आमेर दुर्ग का स्थान कहाँ है? – आमेर दुर्ग राजस्थान राज्य के जयपुर जिले से 11 किलोमीटर दूर आमेर में स्थित है|
आमेर किले की अनूठी संरचना
यह आमेर का किला अंदर से राजपूत स्थापत्य शैली से बना हुआ है जबकि बाहर से देखने पर यह किला मुगल वास्तुशैली से दिखाई पड़ता है लेकिन राजपूताना एवं हिन्दू शैली द्वारा आमेर किले का निर्माण किया गया है|
इस आमेर के विशाल किले के अंदर साहसी राजपूत शासकों एवं इतिहास के प्रसिद्ध लोगों की तस्वीरें लगी हुई है| इस किले की खूबसूरती को दो गुना किले के अंदर बने उधान, जलाशय, ऐतिहासिक महल तथा सुंदर बने मंदिर कर देते है|
जयपुर जिले के अंदर बने इस आमेर किले के पूर्व के अंदर बने द्वार में घुसते ही द्वार किले का मुख्य द्वार को सूर्य द्वार कहाँ जाता है| जबकि इस किले के अंदर दक्षिण में बने भव्य द्वार को चन्द्रपोल द्वार के नाम से जाना जाता है|
चन्द्रपोल द्वार के सामने जलेब चोक बना हुआ है जहाँ से सैलानी महल के प्रांगण में प्रवेश करते है| इस जलेब चोक से दो तरफ की सीढ़ियाँ दिखाई देती है जिनमे से एक तरफ की सीढियां राजपूत राजाओं की कुलदेवी शिला माता के मंदिर की और जाती है|
आमेर किले के अंदर चारबाग शैली से बना एक खूबसूरत उधान भी है| जो इस किले कि सुंदरता एवं शोभा पढाता है| राजस्थान की यह प्राचीनतम राजपुताना विरासत करीब 2 किलोमीटर लंबे सुरंग मार्ग के माध्यम से जयगढ़ किला से भी जुड़ा हुआ है। आपातकालीन स्थिति में सम्राटों के परिवारों को जयगढ़ दुर्ग तक पहुंचाने के लिए इस सुरंग का निर्माण किया गया था|
आमेर किले के प्रमुख दर्शनीय स्थल
गणेश पोल (Ganesh pol)
यह गणेश पोल भी आमेर किले में बनी ऐतिहासिक संरचना में से एक है जो कि इस किले की सुंदरता बढ़ाता है| यह पोल दक्षिण की तरफ स्थित है|
आमेर किले के अंदर स्थित गणेश पोल का निर्माण राजा जय सिंह द्वितीय ने सन् 1611 से 1667 के लगभग में करवाया था| आमेर किले में बने 7 द्वारो में से बना सबसे सुदर, आकर्षण द्वारों में गणेश पोल एक द्वार है|
सुख निवास (Sukh Niwas) –
इस विशाल आमेर किले के अंदर दीवान-ए-आम के सामने सुंदर एक सुख निवास बना हुआ है| सुख निवास के दरवाजे चंदन के बने है| जिसे हाथी दाँतो से सजाया गया है| किले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है|
दीवान-ए-आम (Diwan-AAM)
इस आमेर के विशाल किलो में से बनी सबसे ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण संरचनाओ में से दीवान-ए-आम एक खास है| ये दीवान-ए-आम जनता के लिए बनाया गया था जबकि इस भव्य हॉल में सम्राटों द्वारा जनता की समस्याएं सुनी जाती थी| इस दीवान-ए-आम का निर्माण राजा जय सिंह द्वारा किया गया था|
शीशमहल (Sheesh Mahal)
यह भी आमेर के विशाल किले के अंदर बने प्रमुख आकर्षणों में से शीशमहल भी एक है| इस महल को कई प्रकार के सुंदर दर्पणों से मिलाकर बनाया गया है|
Query :- विशाल इस किले के अंदर बने शीशमहल के अंदर कुछ प्रकाश की किरणें पड़ती है|
Query :- इस महल की खास बात यह कि इसे प्रकाशित करने के लिए एक मोमबती की रोशनी ही काफी है| जिससे पूरे हॉल में रोशनी हो जाती है|
दीवान-ए-खास (Diwan-e-khas)
यह दीवान-ए-खास मनोंरजन संरचना सम्राटों के महमानों द्वारा बनायी गयी थी| इसमें सम्राट खास महमानों एवं एक दूसरे राजाओं से मिलते थे|
चांद पोल दरवाजा (Chand pole Darwaza)
यह जयपुर जिले के विशाल आमेर किले में स्थित एक चांद पोल दरवाजा है| विशाल किले के अंदर यह चांद पोल दरवाजा पश्चिम की और बना हुआ है| यह चांद पोल दरवाजा आम लोगों के प्रवेश के लिए है| इस दरवाजे का नाम चांद पोल इस दिशा में चन्द्रमाउदय की वजह से रखा गया है|
शिला माता मंदिर (Shilaa Mata Mandir)
इस विशाल किले के अंदर देवी शिला माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है| इस मंदिर की शोभा बढ़ाने के लिए सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया था| विशाल किले के अंदर शिला माता मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा करवाया गया था| जबकि यह राजा इस मूर्ति को बंगाल से लेकर आये थे|
दिल आराम बाग – Dalaram Bagh
इस विशाल किले के अंदर यह दिल आराम बाग इस किले की बहुत अधिक शोभा बढ़ाता है| विशाल किले के अंदर दिल आराम बाग का निर्माण लगभग 18वीं शताब्दी में किया गया था| इस बाग के अंदर सुंदर फव्वारे बनाये गये है|
आमेर का पुराना नाम क्या है?
आमेर को पहले अम्बावती, अमरगढ़ तथा अमरपुरा के नाम से जाना जाता था|
आमेर का किला कौनसी पहाड़ी पर स्थित है?
आमेर का किला राजस्थान राज्य के जयपुर जिले से 11 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है|
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