इस लेख में आप स्वच्छ दूध उत्पादन तथा स्वच्छ दूध उत्पादन का महत्व, दूध के दूषित होने के कारण आदि सम्बंधित जानकारी प्राप्त करेंगे| तो इस लेख को आप पूरा पढ़े
स्वच्छ दूध उत्पादन
स्वच्छ दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध संसाधन (Clean Milk production & Milk processing)
स्वच्छ दूध (Clean Milk)
स्वच्छ एवं स्वस्थ पशुओं से स्वच्छ वातावरण में साफ हाथों से साफ बर्तन में निकाला गया दूध स्वच्छ दूध कहलाता है|
अधिकतर स्वस्थ पशुओं से प्राप्त गंदगी एवं हानिकारक जीवाणुओं से मुक्त दूध को स्वच्छ दूध कहते है| जब तक दूध पशुओं के अयन में रहता है वह स्वच्छ ही रहता है जब तक कि पशु को कोई रोग न हो| दूध को अयन से बाहर निकालते ही दूषित वायु के सम्पर्क में आने से उसमे अनेकों हानिकारक जीवाणु प्रवेश कर जाते है जो दूध के गुणों को प्रभावित करते है|
सुरक्षित दूध (Safe Milk)
यह वह दूध है जिसमे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अशुद्विया बिल्कुल नही पायी जाती है और जीवाणुओं की संख्या भी बहुत कम होती है तथा मनुष्य के उपयोग के लिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पूर्णतः सुरक्षित होता है| इसके रख-रखाव गुण भी प्रत्येक स्वच्छ दूध से अधिक होते है| वास्तव में सुरक्षित दूध सदैव ही एक स्वच्छ दूध ही है परन्तु प्रत्येक स्वच्छ दूध हमेशा सुरक्षित होना प्रमाणित नही होता है|
जानिये दूध के दूषित होने के कारण
दूध की दूषित करने वाली अशुद्वियों दो प्रकार की पाई जाती है|
(1) प्रत्यक्ष अशुद्धि
जो आँख से दिखाई देती है जैसे चारे-दाने के तिनके या कण, गोबर के कण, बाल, मक्खी,मच्छर व धूलकण आदि आते है इनको कपड़े या छलनी से छानकर दूर कर सकते है|
(2) अप्रत्यक्ष अशुद्धि
इसके अंतर्गत वे सभी गंदगी आती है जो आँख से प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देती है सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है जैसे जीवाणु इत्यादि| दूध में यह गंदगी दो स्थानों से आती है|
(1) अयन के भीतर से
अयन के द्वारा हानिकारक जीवाणु रोगग्रस्त अवस्था में टूटी-फूटी अयन कोशिकाएँ व रक्त कण हो सकते है| जीवाणु चोट ग्रस्त होने पर घाव के द्वारा जीवाणु दूध में प्रवेश कर जाते है|
(2) अयन के बाहर से
इसमें हर प्रकार की गंदगी संभव है| यह ज्यादातर दूषित वस्तुओं से जीवाणुओं का दूध बर्तन, दूषित वस्तुओं से दूध में प्रवेश कर जाने से होती है| यह अनेकों कारणों से हो सकती है जैसे 1 पशु द्वारा, 2 दूध दोहने वाले के द्वारा 3 दुग्धशाला या पशुशाला से 4 जल से 5 दूध के बर्तनों से 6 वातावरण से 7 चारे-दाने से तथा 8 दूध निकालने वाली मशीन द्वारा|
स्वच्छ दूध उत्पादन

स्वच्छ दूध उत्पादन करने के लिए निम्नलिखित बातों का अवश्य ध्यान रखते है|
(1) स्वच्छ एवं साफ पशु (Clean &Healthy Animal)
जिस पशु से दूध प्राप्त करना हो वह संक्रामक रोगों से, थनैला रोग से तथा क्षय रोग से ग्रस्त नही हो क्योंकि इन बीमारियों के जीवाणु दूध में आ जाते है ऐसे दूध का उपयोग करने पर मनुष्य भी रोगी हो सकता है| अतः दूध देने वाले पशुओं का नियमित समय पर स्वास्थ परिक्षण कराते रहते है|
दूध निकालने से एक डेढ़ घंटा पूर्व पशु के शरीर की सफाई भी आवश्यक है| विशेषकर पशु के पिछले निचले भागों की सफाई अच्छी तरह से करते है| इससे भागों पर खुरेरा कर के शरीर पर लगी गोबर या मिट्टी कणों को हटाकर पानी से घोकर साफ कर लेते है| शरीर पर लगे बाह्य परजीवियों जुएँ, कलीली आदि को हटाते है|
(2) स्वच्छ दुग्धशाला (Clean Milking Barn)
दुग्धशाला जिस स्थान पर पशुओं का दूध निकाला जाता है वह सदैव ही स्वच्छ तथा खुला होना चाहिए| दूध निकालने से लगभग एक से डेढ़ घंटा पूर्व दुग्धशाला गोबर हटाकर पर्श व नालियों को पानी से ठीक तरह से धो लेते है तथा प्रत्येक सप्ताह फिनाइल द्वारा भी धो देते है| दुग्धशाला की दीवारे तथा फर्श पक्के होने चाहिए तथा वर्ष में कम से कम दो बार सफेदी करानी चाहिए|
दुग्धशाला की बनावट इस प्रकार की हो कि उसमे सूर्य के प्रकाश तथा वायु का प्रवेश आसानी से हो सके खिड़की एवं दरवाजों पर जाली लगाकर मक्खी मच्छरों के प्रवेश को रोक देना चाहिए|
(3) स्वस्थ्य एवं स्वच्छ ग्वाला (Clean & Healthy Milker)
दूध निकालने व्यक्ति का स्वास्थ भी अच्छा हो, उसमे किसी प्रकार की गंदी आदत जैसे- बीडी पीना, थूकना, इत्र लगाना आदि का प्रयोग नही करना चाहिए| दूध दुहने वाले व्यक्ति के सिर के बाल छोटे अथवा कढ़े हुए तथा नाखून अच्छी तरह से कटे हुए होने चाहिए|
(4) दूध के बर्तनों की बनावट एवं सफाई (Clean & Shaped Untensils)
गंदे बर्तनों में निकाला गया दूध शीघ्र खराब हो जाता है| दूध निकालने के बर्तन छोटे मुँह वाले, तथा बिना जोड़ वाले बर्तन होने चाहिए| बड़े मुँह का बर्तन होने पर जीवाणु शीघ्र तथा अधिक मात्रा में प्रवेश कर सकते है| बर्तनों को साफ तथा जीवाणु रहित करने के लिए उनको साफ पानी से धोकर बाद में गर्म पानी, भाप अथवा क्लोरीनयुक्त जल से धोकर उल्टा रखकर सूखा देते है|
(5) पशु को चारा-दाना खिलाने की विधि
पशु कादूध निकालने एक से डेढ़ घंटा पूर्व चारा-दाना खिलाना चाहिए जिससे दूध निकालने के समय तक चारे के तिनके वातावरण में उड़ना बंद हो जाए| कुछ चारे जैसे- गोभी, गाजर, मेथी, साइलेज आदि खिलाने से दूध में गंध आ जाती है अतः ऐसे चारों को दूध निकालने से कम से कम दो घंटो पूर्व खिलाना चाहिए|
(6) दूध दुहने की विधि (Method of milking)
आम तौर पर ग्वाला दूध से थनों को गीला कर लेता है| ऐसा नही करना चाहिए| बछड़े को दूध पिलाने के बाद दूध निकाला जाए तो थनों को साफ पानी से धोकर कपड़े से पोछकर दूध निकालना चाहिए|
(7) दूध दुहने वाले यंत्र या मशीन
जिन डेयरी फार्मो पर दूध निकालने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है| वही दूषण सबसे अधिक होता है क्योंकि मशीनों का रबड़ वाला भाग अच्छी तरह साफ नही हो पाता है| दूध निकालने के बाद मशीन को साफ पानी, गर्म पानी तथा क्लोरीनयुक्त जल से अच्छी तरह साफ करनी चाहिए|
(8) दूध को दुग्धशाला से हटाना
दूध दुहने के तुरन्त बाद दुग्धशाला से हटा देते है जिससे पशुशाला की गंध दूध में प्रवेश करके उसे दूषित न कर सके|
(9) छानना (Strainer)
दूध दुहने के बाद आवश्यक रूप से स्वच्छ कपड़ा अथवा छलनी से छान लेते है| कपड़े को प्रयोग करने पर इसको समय-समय पर बदलते रहना चाहिए|
(10) दूध का संग्रह
दूध को हमेशा हवादार, ठंडे स्थान पर ढककर रखना चाहिए| यदि संभव हो तो 5०C ताप पर ठंडा करके दूध रखना चाहिए| गर्मी में दूध को ठंडा करके रखना आवश्यक है अन्यथा अम्लीयता बढ़ने से दूध फट सकता है|
स्वच्छ दूध उत्पादन का महत्व

स्वच्छ दूध उत्पादन निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है—
- स्वच्छ दूध का उपयोग करना स्वास्थ की दृष्टि से अतिआवश्यक है क्योंकि दूषित दूध स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है इससे उपभोक्ताओं में रोग फैल सकते है जैसे- तपेदिक, हैजा, आंत्रज्वर, अतिसार, आंत्रशोध आदि|
- स्वच्छ दूध को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है जबकि दूषित दूध शीघ्र खराब हो सकता है|
- स्वच्छ दूध को एक स्थान से अधिक दूरी वाले स्थान पर सुगमता से भेजकर अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते है|
- स्वच्छ दूध से बने पदार्थ जैसे- दही, छाछ आदि उच्च श्रेणी के होते है|
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