प्रमुख समुद्री जल धाराएं – दोस्तों आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम समुद्री धाराएं, समुद्री धाराओं के कारण, समुद्री धाराओं के प्रभाव आदि जानकारी इस पोस्ट में पढ़ेंगे|
प्रमुख समुद्री जल धाराएं(Ocean current)
अटलांटिक महासागर की धाराएं
- उ.विषुवतीय धारा -गरम
- द.विषुवतीय धारा -गरम
- विषुवतीय विपरीत धारा या गिनी की धारा -गरम
- गल्फ स्ट्रीम की धारा -गरम
- कैनरी की धारा -ठण्डी
- लैब्रेडोर की धारा -ठण्डी
- ब्राजील की धारा -गरम
- बेंग्वेला की धारा -ठण्डी
- द.अटलांटिक महासागर की धारा -ठण्डी
- पू. ग्रीनलैंड की धारा -ठण्डी
प्रशान्त महासागर की धाराएं
- उत्तरी विषुवतीय धारा -गरम
- दक्षिणी विषुवतीय धारा -गरम
- विषुवतीय विपरीत धारा -गरम
- कुरोशोयो की धारा -गरम
- कैलीफोर्निया की धारा -ठण्डी
- ओयाशियो या कुरिल की धारा -ठण्डी
- पूर्वी ऑस्ट्रेलियन धारा -गरम
- पेरू की धारा -ठण्डी
- दक्षिणी प्रशान्त महासागर की धारा -ठण्डी
हिन्द महासागर की धाराएं
- दक्षिणी विषुवतीय धारा -गरम
- विषुवतीय विपरीत धारा -गरम
- मानसून धारा -गरम
- मौजम्बिक और अगुल्हास धारा -गरम
- प. ऑस्ट्रेलियन धारा -ठण्डी
- दक्षिणी हिन्द महासागर की धारा -ठण्डी
समुद्र जल की तीन गतियाँ
(1) लहरें (लहरें क्या है?)
लहरें क्या है?-हवा के थपेडों से समुद्र का जल सतह पर ही ऊपर नीचे हिलोरें लेता है| यह आगे को बढ़ता नहीं, केवल वहीं का वहीं लहराता है| खुले समुद्र में प्रबल हवाओं के थपेडों से दस से बीस मीटर ऊँची और 100-200 मीटर लम्बाई तक लहरें उठती है|
लहरें समुद्र तट से टकराकर उसे निरन्तर काटती रहती है तथा ये नदियों द्वारा लाई हुई मिट्टी को ले जाकर समुद्र के पेंदे पर जमा कर देती है|
(2) ज्वार भाटा (ज्वार भाटा क्या है?)
ज्वार भाटा क्या है?-समुद्र का जल चन्द्रमा द्वारा आकर्षित होकर हर स्थान पर लगभग 24 घण्टे 52 मिनट में दो बार चढ़ता और दो बार उतरता है| चढ़ाव को ‘ज्वार’ और उतार को ‘भाटा’ कहते है|
पूर्णिमा और अमावस्या को सूर्य का आकर्षण बल चन्द्रमा के आकर्षण बल की सीध में कार्य करता है| जिससे बड़ा या ‘वृहद’ ज्वार भाटा होता है| शुक्लाष्टमी और कृष्णाष्टमी को धरती के केन्द्र पर चन्द्रमा और सूर्य के आकर्षण बल एक दूसरे के साथ समकोण बनाते है, अतः समुद्र जल पर उनका आकर्षण एक दूसरे के विपरीत होता है|
फलस्वरूप हल्का सा चढ़ाव उतार आता है, इसे ‘लघु’ ज्वार भाटा कहते है| दैनिक अंतर 24 घण्टे के स्थान पर 24 घण्टे 52 मिनट इसलिए है कि चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमती है और घूमती हुई पृथ्वी के जिस विशेष स्थान की सीध में जिस विशेष समय पर वह पहले दिन था, अगले दिन उसी स्थान की ठीक सीध में आने के लिए उसे 52 मिनट की यात्रा और करनी पडती है|
ज्वार-भाटे का मुख्य कारण समुद्रतल पर पृथ्वी केन्द्र पर चन्द्रमा के आकर्षण-बल में अंतर है| ये दोनों स्थान एक दूसरे से लगभग 6,500 किलोमीटर दूर है| इसलिए इन पर चन्द्रमा के आकर्षण क मात्रा में अंतर होता है|
चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 4 लाख किलोमीटर दूर है| परन्तु सूर्य की पृथ्वी से दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है| इतनी अधिक दूरी से सूर्य की पृथ्वी के केन्द्र और समुद्रतल पर की आकर्षण मात्राओं में कोई विशेष अंतर नही आता है|
यही कारण है कि अकेला सूर्य चन्द्रमा की अपेक्षा बहुत अधिक आकर्षण बल रखते हुए भी विशेष ज्वार-भाटा उत्पन्न नही कर सकता है| अलबत्ता, चन्द्रमा का सहायक अथवा विरोधी बन कर उसके द्वारा उत्पन्न ज्वार भाटा को बड़ा अथवा छोटा अवश्य बना देता है|
ज्वार भाटा के लाभ
यह समुद्र तट का कूड़ा-करकट एवं नदियों की बिछाई मिट्टी बहा ले जाता है| बड़े-बड़े जहाज ऊँचे ज्वार के साथ बन्दरगाह के अन्दर तक जा कर माल उतार सकते है| समुद्र का धन-सीप, कौड़ियाँ, घोंघे, मछलियाँ आदि तट तक आ जाते है| ज्वार भाटा से जल विधुत का उत्पादन भी हो सकता है|
ज्वार भाटा से हानियाँ
ज्वार भाटा के समय कई बार नौकाएँ और छोटे-मोटे जहाज डूब जाते है जिस से जान तथा माल की हानि होती है| कभी-कभी ज्वार के कारण नदियों के मुहाने पर मिट्टी जम जाती है| इससे बन्दरगाह की गहराई कम हो जाती है| फिर उसे बड़ी-बड़ी मशीनों से साफ करना पड़ता है|
(3) समुद्री धाराएं (समुद्री धाराएं क्या होती है?)
समुद्री धाराएं क्या होती है?-जिस प्रकार स्थल पर नदियाँ बहती है उसी प्रकार समुद्र में भी पानी की बहुत बड़ी नदियाँ बहती है, जिन्हें ‘समुद्री धाराएं’ कहते है|
स्थलीय नदियों के किनारें, तल और स्थल होता है, परन्तु समुद्री धाराएं पानी में ही बहती है| कुछ समुद्री धाराएं गर्म पानी की है जो ऊपर तल के साथ-साथ बहती है| कुछ धाराएं ठण्डी पानी की है जो समुद्र में नीचे गहराई पर बहती है| समुद्री धाराएं नदियों की अपेक्षा चौड़ाई और गहराई में बहुत बड़ी होती है|
समुद्री धाराओं के चलने के मुख्य कारण क्या है?
- भिन्न-भिन्न स्थानों पर जल के तापांश में भिन्नता-गर्म पानी हल्का होकर ऊपर उठता है और ऊपर ही ऊपर ठण्डे पानी की ओर चल देता है| ठण्डे पानी भारी होता है, वह नीचे को जाकर गर्म पानी की ओर चल देता है|
- विभिन्न स्थानों पर पानी के खारीपन के अंतर के कारण भी समुद्री धाराएं चलती है|
- नियतवाही हवाएं – विषुवत रेखा के प्रदेश में समुन्द्र का जल गर्मी के कारण फैलता है और ऊपर ही ऊपर ठण्डे ध्रुवीय प्रदेशों की ओर चलता है| उधर ध्रुवों के निकट के समुन्द्र का पानी अत्यन्त सर्दी के कारण भारी होकर नीचे विषुवत रेखा की ओर बढ़ता रहता है|
समुद्री जल धाराओं के प्रभाव
समुद्री जल धाराओं का प्रभाव दो क्षेत्र जैसे जलवायु और व्यापार पर पड़ता है|
(1) समुद्री जल धाराओं का जलवायु पर प्रभाव
- ध्रुवीय वृत्तों के निकटस्थ ठण्डे प्रदेशों के पास से यदि कोई गरम धारा बहती है, तो वह वहाँ अधिक सर्दी नई होने देती, जैसे ब्रिटिश द्वीप समूह और नॉर्वे के तटो के पास से खाड़ी की गरम धारा बहती है; अतः उन प्रदेशों की जलवायु उन्हीं अक्षांशो में स्थित अन्य देशों की अपेक्षा कम सर्द, अर्थात समशीतोष्ण और सुहावनी है| इन गरम धाराओं के कारण वाष्प अधिक होने से वहाँ वर्षा भी अच्छी हो जाती है|
- गरम मरुस्थलों के पश्चिमी तटो के पास से बहने वाली ठण्डी धाराएं उनके तापांश को कम कर देती है और उन्ही ठण्डी धाराओं के कारण वहाँ वाष्प की कमी से वर्षा नहीं हो पाती है|
- जहाँ ठण्डी और गरम धराएं पास-पास बहती है, वहाँ धुन्ध बनी रहती है, जैसे न्यूफाउंडलैंड के पास लेब्राडोर की ठण्डी धारा और खाड़ी की गरम धारा के पास-पास बहती है, तथा जापान के पूर्व में ओयाशियों की ठण्डी धारा और कुरोशियो की गरम धारा के संयोग से बनी रहती है|
(2) समुद्री जल धाराओं का व्यापार पर प्रभाव
- ठण्डी धाराओं के साथ बड़ी-बड़ी मछलियाँ आती है| गरम धाराओं में इन मछलियों के लिए आहार होता है तथा अण्डे-बच्चों के पालन-पोषण की सामथ्र्य होता है| इसलिए जहाँ ठण्डी और गरम धाराएं मिलती है, वहाँ मछली पकड़ने के विशाल क्षेत्र बन जाते है, जैसे जापान और न्यू फ़ाउन्डलैंड के पास|
- गरम और ठण्डी धाराओं के पास-पास होने से जो धुन्ध उत्पन्न हो जाती है वह समुद्री जहाजों के चलने में बाधा डालती है|
- धारा की दिशा के साथ-साथ जहाज सुगमता से आ जा सकते है, दिशा के विपरीत जाने में कठिनाई होती है|
- ठण्डे बर्फानी प्रदेशों के निकट सेगुजरने वाली गरम धाराएं वहाँ के पानी को जम जाने से बचा लेती है, अतः वहाँ बन्दरगाह नौका वाहन के योग्य रहते है, जैसे उत्तर-पश्चिम यूरोप के तट पर स्थित बन्दरगाह ध्रुव के निकट होते हुए भी खाड़ी की गरम धारा के कारण साल भर खुले रहते है|
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