दोस्तों आज हम प्रतियोगी परीक्षायो से सम्बंधित पूछे जाने वाली क्वेरी जैसे-वर्ण-विक्षेपन किसे कहते है, प्रकाश का वर्ण-विक्षेपन क्या है, प्रकाश का व्यतिकरण क्या है तथा प्रकाश के प्राथमिक रंग कौन-कौन से है| आदि पढ़ेंगे|
वर्ण-विक्षेपण किसे कहते है
श्वेत प्रकाश का किसी प्रिज्म से होकर गुजरने पर सात रंगो की किरणों में टूटना प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहलाता है|
प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्या है
श्वेत प्रकाश का किसी प्रिज्म से होकर गुजरने पर सात रंगो की किरणों में टूटना प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहलाता है| सात रंग है(बै नी आ ह पी ना ला(V I B G Y O R)| सबसे अधिक विक्षेपण बैगनी रंग का तथा सबसे कम लाल रंग का होता है| इन सात रंगों को दृश्य प्रकाश कहते है| इनका तरंगदैर्ध्य 4000 A० से 7800 A० के बीच होता है|
इसका उदाहरण हम इन्द्रधनुष में देख सकते है|
नोट :- इन्द्रधनुष का निर्माण प्रकाश की तीन प्रक्रियाओं -पूर्ण आन्तरिक परावर्तन, अपवर्तन एवं वर्ण-विक्षेपण का परिणाम है|
- प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही आकाश नीला दिखाई देता है|
प्रकाश का व्यतिकरण क्या है
दो स्रोतों से तरंग के निकलने के कारण प्रकाश का पुनः वितरण प्रकाश का व्यतिकरण कहलाता है| उदाहरण- न्यूटन का वलय, साबुन के बुलबुले का रंगीन दिखाई देना|
नोट- प्रकाश एक तरंग है, यह व्यतिकरण द्वारा ही सिद्ध होता है|
- प्रकाश का विवर्तन – किसीअवरोध के कारण प्रकाश का मुड़ना विवर्तन कहलाता है|
- प्रकाश का ध्रुवीकरण – ब्रीवेस्टर द्वारा प्रतिपादित|
- यह केवल अनुप्रस्थ तरंगो में होता है|
- विभिन्न दिशाओं में कम्पन्न कर रहे तरंग कणों का केवल एक दिशा में कम्पन करने वाले कणों के रूप में एक बिंदु पर एकत्रित होना ध्रुवीकरण कहलाता है और यह ध्रुवीकृत प्रकाश कहलाता है|
प्रकाश के रंग(Colour)
यह प्रकाश का एक गुण है, जो तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है|
प्रकाश के प्राथमिक रंग कौन-कौन से है|
प्राथमिक रंग(Primary Colour) – लाल, हरा एवं नीला| इन रंगों को उचित मात्रा में मिलाने से अन्य सभी रंग प्राप्त किये जाते है|
प्रकाश के द्वितीयक रंग कौन-कौन से है|
द्वितीयक रंग – मेजेंटा, स्यान और पीला|
ये दो प्राथमिक वर्णों के संयोग से बनते है|
अवरक्त किरणें – वर्ण-विक्षेपन के पश्चात् वर्णपट पर लाल रंग के ऊपर जो अदृश्य प्रकाश की किरणें विधमान रहती है, अवरक्त किरणें कहलाती है|इनका तरंगदैर्ध्य 7800 A० से 1 मिमी तक होता है|
पराबैंगनी किरणें – वर्ण पट पर बैंगनी रंग के नीचे स्थित किरणें पराबैंगनी किरणें कहलाती है| इनका तरंगदैर्ध्य 100 A० से अधिक एवं 4000 A० से कम होता है|
कुछ विकिरण
- तरंग लम्बाई के बढ़ते हुए क्रम में – गामा, ‘एक्स’ पराबैंगनी, दृश्य, अवरक्त, माइक्रो रेडियो तरंग|
- आवृत्ति के बढ़ते हुए क्रम में – रेडियो, माइक्रो, अवरक्त, दृश्य, पराबैंगनी, ‘एक्स’, गामा|
- प्रतिदीप्ती – वे पदार्थ जोकम तरंगदैर्ध्य की आपतित प्रकाश की किरणों को अवशोषित कर लेते है और अधिक तरंगदैर्ध्य का प्रकाश उत्सर्जित करते है| यह तबतक ही होता है, जब तक प्रकाश की किरणें पदार्थ पर आपतित होती रहती है|
- स्फूरदीप्ती – इसमें प्रकाश उत्सर्जन विकिरण हटा लेने पर भी होता रहता है|
- प्रतिदीप्ती के गुण से युक्त पदार्थ – बेरियम, कैडमियम|
- स्फूरदीप्ती के गुण से युक्त पदार्थ – रेडियम|
- रंगो का मिश्रण – नीले, हरे एवं लाल रंगो को परस्पर उपयुक्त मात्रा में मिलाकर अन्य रंग प्राप्त किये जा सकते है तथा इनको बराबर-बराबर भाग में मिलाने डर श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है| नील, हरे एवं लाल रंगो को प्राथमिक रंग कहते है|
अन्य रंगो जैसे- पीला, मैजेंटा, पीकॉक-ब्लू आदि को द्वितीयक रंग कहा जाता है, जो दो रंग परस्पर मिलने से सफेद प्रकाश उत्पन्न करते है उन्हें पूरक रंग कहते है|
लाल+हर = पीला, लाल+नीला = मैजेंटा, हरा+नीला = पीकॉक ब्लू, हरा+मैजेंटा = सफेद, लाल+पीकॉक ब्लू =सफेद, नीला+पीला = सफेद
रंगीन टेलीविजन में प्राथमिक रंगो-लाल, हरे एवं नीले रंग का प्रयोग किया जाता है|
मनुष्य की आँख का कार्य
मनुष्य की आँख का कार्य :- आँखें देखने का कार्य करती है| बाहर के प्रकाश कॉर्निया से अपरिवर्तित होकर पुतली में होता हुआ लेंस पर पड़ता है| लेंस से अपवर्तन होने के पश्चात् किरणें रेटिना के पीत बिन्दु पर केन्द्रित हो जाती है, जिससे रेटिना की संवेदनशील कोशिकाएं सक्रिय हो जाती है व विधुत संकेत उत्पन्न होते है जो दृक तंत्रिकाओं द्वारा हमारे मस्तिष्क में पहुँचते है|
यहाँ ये संकेत प्रकाश के रूप में प्रतिपादित होते है| आँख के लेंस से जुड़ी मासपेशियाँ में तनाव के परिवर्तन होने से उसकी फोकस दूरी परिवर्तित हो जाती है|तनाव के कम होने से लेंस पतला हो जाता है तथा दूरी स्थित वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देती है| तनाव अधिक होने से लेंस मोटा हो जाता है एवं निकट की वस्तुएं साफ दिखाई पडती है|
आँख की स्पष्ट दृष्टि की दूरी
आँख की स्पष्ट दृष्टि की दूरी :- एक आँख से वह कम से कम दूरी जिस पर रखी हुई वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है, स्पष्ट दृष्टि की दूरी कहलाती है| एक सामान्य आँख के लिए दूरी 25 सेमी. है|
- दूर बिन्दु :- वह बिन्दु जहाँ तक मानवीय आंख स्पष्ट देख सकती है, वह दूर बिन्दु कहलाता है| एक सामान्य आँख के लिए यह बिन्दु अनंत पर स्थित है|
- निकट बिन्दु :- वह बिन्दु जहां तक मानवीय आँख स्पष्ट रूप से देख सकती है, वह निकट बिन्दु कहलाती है| एक सामान्य आँख के लिए यह दूरी 25 सेमी. है|
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