रुठी रानी का महल :- इस लेख में आप जानेंगे की रुठी रानी का महल कहा स्थित है ? रुठी रानी का वास्तविक नाम क्या था? रुठी रानी के पति का नाम क्या था तथा यह रानी उमादे रुठी रानी के नाम से क्यों प्रसिद हुई?
जैसा की आप सभी जानते है की राजस्थान राजवंशो के गौरवशाली इतिहास से भरा हुआ है राजस्थान में इसके गौरवशाली इतिहास के साथ ही इसमे अनेक रोचक किस्से भी है ऐसे ही एक किस्सा है रानी उमादे का जो जीवन भर अपने पति से रूठी रही
रूठी रानी के बारे में तो आपने सुनना होगा लेकिन बहुत कम लोग जानते है की आकिर रानी उमादे अपने पति से क्यों रूठी आज के इस लेख में हम आपको रूठी रानी से सम्बन्धित पूरा इतिहास बताएँगे
तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़े साथ ही और लोगो तक भी शेयर करे जिससे वो भी राजस्थान के इस रोचक तथ्य को जान सके
आखिर रानी उमादे रूठी रानी के नाम से क्यों प्रसिद हुई ?
“रूठी रानी”
जैसलमेर के रावल लूणकरण ने मारवाड़ के राव मालदेव से अपनी पुत्री उमादे का विवाह तय किया राव मालदेव बारात लेकर जैसलमेर पहुंचे
कहा जाता है कि रानी उमादे को जब यह बात पता चली कि उनके पिता रावल लूणकरण राव मालदेव को मरवाना चाहते हैं तो रानी उमादे ने अपना धर्म निभाते हुए ये बात राजपुरोहित राघवदेव की सहायता से रावजी को बता दी, तो रावजी बड़े क्रोधित हुए
यह बात है रानी उमादे के विवाह के बाद की जब रानी उमादे का विवाह जोधपुर के राजा मालदेव से हुआ था रानी उमादे सुहाग की सेज पर राजा मालदेव की प्रतीक्षा कर रही थी और राजा इनके पास पहुंचे ही नहीं।
जब रानी ने राजा को बुला लाने के लिए एक दासी को भेजा। तो राजा ने उस दासी को रानी समझ उसे अपने पास बैठा लिया, और ये सब देख कर रानी गुस्सा हो गई और रानी उमादे वहां से चली गईं
जब राव मालदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने रानी उमादे को मनाने के लिए अपने भतीजे ईश्वरदास व आसा बारहठ को भेजा काफी मनाने के बाद जब रानी उमादे साथ चलने को तैयार हो गईं, तब मार्ग में कोई बात निकली, जिसके बाद आसा बारहठ ने एक दोहा कहा
“मान रखे तो पीव तज,पीव रखे तज मान।
दो दो गयंद न बंधही, हेको खम्भु ठाण।।”
अर्थात मान रखना है तो पति को त्याग दो और पति रखना है तो मान को त्याग दो, लेकिन दो हाथियों का एक ही स्थान पर बाँधा जाना असंभव है। यह सुनकर रानी उमादे ने प्रण लिया कि आजीवन रावजी का चेहरा नहीं देखूंगी। तब रानी उमादे ने अजमेर के तारागढ़ दुर्ग के निकट महल में रहना शुरू किया और ये रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हुईं
रुठी रानी का महल कहा स्थित है ?
रुठी रानी का महल :- रूठी रानी का महल -जयसमंद (उदयपुर) स्थित है
इतिहास की अन्य रूठी रानियों से संबंधित तथ्य
->12वीं सदी में रानी सुहावा देवी रूठकर भीलवाड़ा के मेनाल में स्थित महल में रहने लगीं। रानी सुहावा के द्वारा सुहावेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण भी करवाया गया था ।
->एक अन्य रूठी रानी का महल ईडर में भी है
-> मेवाड़ की जयसमंद झील किनारे स्थित एक महल महाराणा जयसिंह ने बनवाया, जो बाद में लोगों ने रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध कर दिया
आपके प्रश्न –
उमादे किसकी रानी थी ?
Ans- उमादे मारवाड़ के शासक मालदेव राठौड़ की दूसरी पत्नी थी। ये इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद हुई क्योकि ये आजीवन अपने पति से रूठी रही थी
रूठी रानी किसकी कृति है?
Ans-रूठी रानी एक ऐतिहासिक उपन्यास से है जिसे प्रेमचंद द्वारा लिखा गया
रूठी रानी किसकी पुत्री थी?
Ans-रूठी रानी जैसलमेर के रावल लूणकरण पुत्री थी