मधुमक्खी पालन

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मधुमक्खी

मधुमक्खी एक पंखो की सहायता से उड़ने वाला जीव है जो व्यवसाय के लिए लाभदायक है

मधुमक्खी पालन

देखा जाये तो मधुमक्खी एक ऐसा व्यवसाय है जो मनुष्य को लाभ देता आ रही है जबकि इसके पालन में खर्चा अधिक होता है और घरेलू उधोग में आता है जाये तो यह पालन हर जाति के मनुष्य कर लाभाविन्त हो सकते है

मधुमक्खी पालन को क्या कहते है

मधुमक्खी पालन को एपीकल्चर कहते है

मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम

वैज्ञानिक नाम –एफिस इंडिका(Aphis indica L.)

मधुमक्खी का गण

गण –हाइमेनोप्टेरा(Hymenoptera)

कुल –एपिडि(Apidae)

मधुमक्खी का जीवन चक्र

मधुमक्खियाँ समूह बनाकर परिवार में रहती है एक समूह में एक रानी 200 से 300 नर तथा शेष श्रमिक होते है

(1) रानी(Queen)

रानी का कार्य अण्डे देना होता है इसका जीवन काल 2 से 5 वर्ष का होता है निषेचित अन्डो से श्रमिक, रानी पुत्रियाँ एवं अनिषेचित अण्डे से सदैव नर उत्पन्न होते है रानी माता लगभग 15-20 मि.मी. लम्बी होती है प्रतिदिन 2 से लेकर 2,000 तक अण्डे तथा अपने पूरे जीवन में लगभग 15 लाख अण्डे देती है

(2) नर(Drone)

नर,रानी से आकार में छोटे लगभग 15 से 17 मि.मी. लम्बे होते है इनकी आँखे बड़ी, उदर गोल तथा काला, जननांग भली-भाँती विकसित तथा मोम ग्रन्थि, पराग थैली और डंक अनुपस्थित होते है इनका मुख्य कार्य रानी के साथ मैथुन करना है

(3)श्रमिक(Worker)

ये निषेचित अण्डो से निकलती हुई मादाये है जिन्हें रायल जेली बहुत कम मिलती है जिससे यह बाँझ रह जाते है श्रमिक मधुमक्खियों का कार्य बाहर फुलयुक्त पौधों की खोज तथा पराग इकट्ठा करना होता है

मधुमक्खी की मैथुन उड़ान

रानी पुत्री दो या तीन दिन पश्चात् दिन में ही मैथुन के लिये उड़ान भरती है बचा राजा एक नर रानी पुत्री से सम्भोग करता है नर से प्राप्त वीर्य शुक्रधानी में इकट्ठा रहता है जिसे रानी माता आवश्यकतानुसार प्रयोग करती है

मधुमक्खी पालन के अंतर्गत अण्डनिक्षेपण क्रिया

मैथुन क्रिया के कुछ समय पश्चात् रानी-पुत्री अण्डा देना प्रारम्भ करती है एक कोष्ठ में एक ही अण्डा दिया जाता है इसके अण्डे लम्बे, पतले, अण्डाकार तथा हल्के पीले रंग के होते है

ग्रब

यह पतला तथा हल्के पीले रंग का होता है श्रमिक मधुमक्खियाँ इसे खाने में 2-3 दिनों तक रायल जेली देती है इसके पश्चात् पराग और मधु देती है परन्तु जिस ग्रब को रानी-पुत्री बनाना होता है उन्हें 2-3 दिन और रायल जेली खाने को दी जाती है इन 5-6 दिनों में ग्रब पूर्ण विकसित होकर कोषावस्था में बदलते है

कोष

ग्रब पूर्ण विकसित होने पर अपने चारों ओर एक कोया बनाकर उसके अंदर कोषावस्था में बदलता है कोषावस्था 7-14 दिन की होती है इसके पश्चात् इनसे प्रौढ़ निकलते है

मधुमक्खी पालन का सबसे अच्छा समय

मधुमक्खी पालन के लिए सबसे सबसे अच्छा समय अक्टूबर और नवम्बर माना जाता है क्योंकि देखा जाये तो मधुमक्खी को फूलो की आवश्यकता होती है इस समय फूलो का वातावरण अधिक होता है

Conclusion

हम आशा करते है आज की इस पोस्ट में आपने मधुमक्खी पालन तथा मधुमक्खी से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की है, धन्यवाद

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