दूध की गुणवत्ता को कैसे नाम जाता है ? इस लेख में आप दूध की गुणवत्ता को नापना सीखेंगे की दूध की गुणवत्ता को कैसे नापा जाता है ? दूध की गुणवत्ता से सम्बंधित जानकारी इस लेख में दी गई तो आप इसे पूरा जरूर पढ़े जिससे आपको दूध की गुणवत्ता से सम्बंधित सारी जानकारी हो सके
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दूध की गुणवत्ता परीक्षण (Quality Control Of Milk)
दूध गुणवत्ता कोई विकल्प नही है बल्कि आवश्यकता और अनिवार्यता है जो दुग्ध व्यवसाय में एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है| दूध का परीक्षण उसकी शुद्धि जानने के लिए किया जाता है इसलिए इन परीक्षणों को गुणवत्ता नियन्त्रण परीक्षण कहते है|गुणवत्ता परीक्षण दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध संसाधन दो (2) स्तरों पर करते है|
दुग्ध उत्पादन स्तर पर गुणवत्ता नियन्त्रण
- संक्रामक रोगों से ग्रसित पशुओं का परीक्षण करके पशुशाला से हटाकर तथा उनके दूध का उपयोग न करके|
- थनैला रोगों से ग्रस्त पशुओं के समूह से पृथक्कर उनके दूध को उपयोग अथवा विपणन न करके|
- ताजे दूध का C.D.B. परीक्षण करके दूध में खीस मिलावट का पता कर अलग करके|
संसाधन स्तर पर गुणवत्ता परीक्षण
डेयरी संयंत्र पर दूध कोसंसाधित करने से पहले उसकी शुद्धता व ताजेपन की जाँच करने के लिए कुछ परीक्षण करते है उन्हें चबूतरा ध की अम्लता 0.12% से 0.18% होती है जीवाणुओं द्वारा इसकी अम्लीयता बढ़कर 0.32 या इससे भी अधिक हो जाती है| in अम्लता तथा खीस की मिलावट का पता लगाने के लिए यह परीक्षण करते है| एक परखनली में 15 से 20 मि.ली.दूध लेकर गर्म करते है अगर दूध फट जाता है तो दूध रखा हुआ या खराब या खीस मिला हुआ है ऐसे दूध को अलग कर देते है|
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(1) अम्लता परीक्षण (ACIDITY TEST)
दूध के ताजेपन की जानकारी के लिए यह परीक्षण किया जाता है| दूध में अम्लीयता दो प्रकार की होती है|
(अ) प्राकृतिक अम्लता (NATURAL ACIDITY)
यह दूध में फास्फेट, साइट्रेट लवण, कसीन, एलब्युमिन, तथा दूध में घुली हुई कार्बनडाईऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होती है| ताजे दूध में यह अम्लता 0.12 से 0.14% के बीच होती है|
(ब) विकसित अम्लता (DEVELOPED ACIDITY)
यह अम्लता दूध में पाए जाने वाले लैक्टोज के किण्वन द्वारा उत्पन्न लैक्टिक अल के कारण होती है|
सिद्धान्त :- जब अम्ल एवं क्षार एक साथ मिलाए जाते तो आपस में क्रिया करके एक -दूसरे को उदासीन कर देते है| इस उदासीन बिन्दु की अवस्था को सूचक द्वारा ज्ञात के लिया जाता है|
दूध में अम्लता की गणना, या सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) विलियन से अनुपात करके करते है| इसमें फिनोल्फ्थेलिन सूचल का प्रयोग करते है| जिसकी गणना सूत्र निम्न प्रकार है|
NaOH की प्रयुक्त मात्रा गुणा 0.01
अम्लता प्रतिशत = N/9 —————————गुणा 100
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विधि
परीक्षण मेंकाम आनेवाले उपकरणों जैसे-ब्यूरेट, पिपेट, बीकर, पोर्लिसिन की प्याली आदि को आसुत जल से धो लेते है| ब्यूरेट में N/9 अथवा N/10 NaOH भरकर पाठ्यांक नोट कर लेते है|
दूध को हिलाकर पिपेट द्वारा 10 मि.ली. दूध पोर्सिलीन प्याली अथवा बीकर में डालते है| इसके बाद 1 मि.ली. पिपेट द्वारा फिनौल्फ्थेलिन सूचक दूध में डालकर काँच की छड़ से अच्छी तरह से मिला लेते है दोनों मिश्रण को अच्छी मिलाकर हिलाए| ब्यूरेट के नोजल के नीचे रखकर ब्यूरेट से बूँद-बूंद N/9 विलियन दूध में डालते है और तब तक डालते है जब तक कि दूध का रंग हल्का गुलाबी न हो जाए| दूध में हल्का गुलाबी रंग स्थायी होने पर NaOH डालना बंद करके पाठ्यांक ले लेते है|
ब्यूरेट में NaOH के प्रथम पाठ्यांक को द्वितीय पाठ्यांक में से घटाने पर उपयोग आने वाली NaOH की मात्रा ज्ञात हो जाती है| यह प्रक्रिया दो से तीन बार तक दोहराते है जब तक की दो समान पाठ्यांक प्राप्त नही होते है|
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