दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करेंगे|
दूध (Milk)
दूध हमारे भोजन का एक आवश्यक अंग होता है| इसमें भोजन के सभी आवश्यक पोषक तत्व-कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, विटामिन तथा जल पाए जाते है जिसके कारण दूध को सम्पूर्ण आहार की संज्ञा डी जाती है|
दूध किसे कहते है?
“दूध स्तनधारी पशुओं की दुग्ध ग्रन्थियों से प्राप्त एक तरल पदार्थ है जो नवजात शिशु के पैदा होने के तुरन्त पश्चात् उसके पोषण के लिए स्रावित होता है”
यह परिभाषा जैविक दृष्टिकोण से दी गई है| इससे साधारण एवं असाधारण दूध जैसे खीस आदि में कोई भेद नही रखा गया है|
दूध की व्यापारिक दृष्टिकोण से परिभाषा (Commercial Definition)
एक या एक से अधिक स्वस्थ पशुओं से जिनका भली प्रकार से पालन-पोषण हुआ हो, वत्स-जनन के 15 दिन पूर्व और 10 दिन पश्चात् जो स्वच्छ एवं ताजा लैक्टियल क्षरण प्राप्त होता है, उसे दूध कहते है, इस दूध में न्यूनतम वसा की मात्रा 3.25% और वसा रहित ठोस पदार्थो की मात्रा 8.5%होनी चाहिए|
दूध की रासायनिक परिभाषा (Chemical Definition)
रासायनिक दृष्टि से दूध एक विषमांग उत्पाद है जिसमें वसा, प्रोटीन, शर्करा, खनिज पदार्थ अन्य अवयव क्रमशः इमल्सन, कोलाईडी निलम्बन तथा वास्तविक विलयन के रूप में जल की सतत तरल प्रावस्था में उपलब्ध रहते है|
वास्तव में दूध की परिभाषा करते समय दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए|
- दूध के अंतर्गत खीस रहित दूध आना चाहिए|
- अपमिश्रित दूध भी इसके अंतर्गत नही आना चाहिए अतः कुछ अवयवों की न्यूनतम मात्रा निर्धारित के देनी चाहिए|
दूध के अवयव
दूध एक अपारदर्शी द्रव है जो वसा, प्रोटीन, लैक्टोज, खनिज पदार्थ एवं जल से मिलकर बना होता है| दूध में विभिन्न अवयव समान मात्रा में नही पाए जाते है इनमे सदैव भिन्नता पाई जाती है| भिन्नता बहुत से कारणों से जैसे- पशुओं को खिलाया जाने वाला चारा, पशु की उम्र, जलवायु इत्यादि से होती है| विभिन्न जातियों के पशुओं जैसे- गाय,भैंस, भेड़, बकरी तथा ऊँट आदि के दूध का संघटन भिन्न होता है|
दूध में पाए जाने वाले अवयवों को उपस्थिति के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है- वसा एवं वसा रहित ठोस पदार्थ, जल इन दोनों प्रकार के अवयवों के वाहक के रूप में होता है|
(1) दुग्ध वसा (MilkFat)
दुग्ध वसा दूध का एक मुख्य अवयव है जो कि सबसे अधिक भिन्नता रखता है| वसा दूध में पायस के रूप में उपस्थित रहती है| इसलिए यह आसानी से पच जाती है| दूध में उपस्थित वसा गोलिकाओं के रूप में पाई जाती है जिसे आसानी से दूध से अलग किया जा सकता है||||| दूध की वसा के मुख्य अवयव, वास्तविक वसा, फॉस्फोलिपिड, स्टीरॉल तथा स्वतंत्र वसीय अम्ल पाए जाते है| दूध वसा में सर्वाधिक ओलिक अम्ल 33% तथा पामेटिक अम्ल 25% पाए जाते है| दूध वसा में कुल मिलाकर 43% असंतृप्त वसीय अम्ल तथा 57% संतृप्त वसीय अम्ल पाए जाते है| वसा ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत होता है| एक ग्राम दुग्ध वसा में 9.3% कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है और लगभग 55-60% दूध की ऊर्जा केवल दुग्ध वसा से आती है| वसा में घुलनशील विटामिन A, D, E तथा K प्रचुर मात्रा में पाई जाती है| सामान्यतः गाय के दूध में 4.8% मुर्रा भैंस के दूध में 7.6% एवं मानव दूध में 3.7% वसा पाई जाती है|
दुग्ध वसा का पोषक महत्व (Nutritive importance of Milk Fat)
- भारतीय अधिकतर शाकाहारी है अतः उनके भोजन में पशु वसा का मुख्य स्रोत है|
- घी से कार्बोहाइड्रेटस की तुलना में लगभग 2.25 गुणा अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है|
- वसा से शरीर को विटामिन तथा कोलस्टैरोल प्राप्त होते है|
- दुग्ध वसा में शरीर के लिए आवश्यक वसीय अम्ल जैसे लिनोलेइक अम्ल मिलते है|
- इसमें कम द्रवनांक बिन्दु वाले वसीय अम्ल होने के कारण पाचन संस्थान में इनका पाचन शीध्र होता है|
- दुग्ध वसा के अवयव फास्फोलिपिंड का जैविक महत्व बहुत अधिक है जिसका विवरण निम्नवत है-
- यह रक्तस्कंदन में सहायक होता है|
- ऊतकों के चयापचय में सहायक होता है|
- वसा प्रोटोप्लाज्मकी संरचना का मुख्य अवयव है|
- यह प्रजनन एवं शरीर विकास दोनों में सहयोग देता है|
- यह कोशिकाओं के पोषण का कार्य करता है|
- लेसिथिन दुग्ध वसा को सुरक्षित रखने में मददगार है|
(2) दुग्धम (Lactose)
दुग्धम (Lactose) – दुग्धम दूध में पाया जाना वाला मुख्य कार्बोहाइड्रेट है| दूध में मीठापन दुग्धम के कारण ही होता है| दुग्धम एक द्विशर्करीय है जो ग्लूकोस और एक गैलेक्टोस अणुओं के मिलने से बनता है|
C6H12O6+C6H12O6 — C12H22O11+H2O
दूध के अंदर यह घुलनशील अवस्था में होता है| दुग्धम ऊर्जा का अच्छा साधन है एक ग्राम दुग्धम में 4.0 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है यह शर्करा की अपेक्षा लगभग ¼ मीठा होता है| सामान्यतः गाय के दूध में 4.9%, भैंस के दूध में 5.48% एवं मानव दूध में 6.98% दुग्धम पाया जाता है|
लैक्टोज का पोषक महत्व (Nutritiveimportanceoflactose)
- लैक्टोज दूध के ऊर्जा मान में वृद्धि करता है|
- यह शरीर में विटामिन संश्लेषण में सहायक होता है|
- यह आंत द्वारा कैल्शियम एवं फास्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है|
- लैक्टोज आंत में लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करता है जो अम्ल उत्पादक जीवों के विकास को प्रोत्साहित कर पैथोजेनिक (रोगकारी) जीवाणुओं की वृद्धि को रोक देता है|
- दूध मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंतुओं में उपस्थित लैक्टोज के लिए मुख्य स्रोत है| लैक्टोज का अवयव ग्लैक्टोज मस्तिष्क तथा नाड़ी संस्थान के लिए आवश्यक है|
- यह अन्य शर्कराओं की अपेक्षा अधिक स्वास्थ्यवर्धक है|
(3) प्रोटीन (Protein)
यहदूध के मुख्य अवयवों में से एक है जो शरीर की कोशिका के निर्माण लिए परमावश्यक है| दूध में मुख्यतः तीन प्रकार की प्रोटीन कैसीन, एलब्यूमिन, एवं ग्लोब्यूलिन पाई जाती है| दूध प्रोटीन में कैसीन 80% होती है जो पायस के रूप में पाई जाती है| ये तीनों प्रोटीन एमिनों अम्ल की बनी होती है| तथा पचने से यह प्रोटीन एमिनो अम्ल में टूट जाती है| तभी इनका शोषण हो पाता है| दूध में कैसीन की मात्रा 2.0 से 3.5 तक पाई जाती है| गाय के दूध में 3.5% तथा भैंस के दूध 3.6% प्रोटीन पाई जाती है|
केसीन की पोषक उपयोगिता (Nutritiveimportanceofcasein)
- इस प्रोटीन में लगभग सभी अनिवार्य अमनो अम्ल (थियोनीन, वैलीन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसिन, लाइसिन, मिथियोनीन, फिनाइलेनाइन, ट्रिप्टोफेन, आर्जीनिन तथा हिस्टीडीन) प्राप्त हो जाते है|
- यह प्रोटीन पाचन प्रणाली में लगभग 97-98% तक पच जाती है तथा लगभग 76% तक शरीर में शोषित हो जाती है|
- यह आयोडीन तथा भारी धातुओं में संयुक्त होकर एक उपयोगी वाहक के रूप में कार्य करती है|
- कैसीन से फास्फोरस तथा कैल्सियम भी प्राप्त होता है|
(4) खनिज पदार्थ (Mineral Matter)
अन्य अवयवों की तरह दूध के खनिजशरीर को ऊर्जा तो प्रदान नही करते है परन्तु यह जीवन के लिए परमावश्यक होते है| दूध के मुख्य खनिज पदार्थ निम्न है- कैल्शियम (Ca), फॉस्फोरस (P), आयरन (Fe), पोटेशियम (K),मैग्नीशियम (Mg), सोडियम (Na), गंधक (S), कॉपर (Cu), कोबाल्ट (Co), जिंक (Zn), आयोडीन (I), इत्यादि है| दूध कैल्शियम एवं फास्फोरस प्राप्ति का अच्छा स्रोत होता है| कैल्शियम और फास्फोरस बच्चों की हड्डियों के निर्माण एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है| दूध में खनिज पदार्थो की मात्रा 0.70 से 0.90% तक होती है|
खनिज लवणों की पोषक उपयोगिता (NutritiveimportanceofMinerals)
- फास्फोरस हड्डी, दांत तथा मांस निर्माण में कार्य करता है|
- शरीर को आकार तथा दृढ़ता प्रदान करने वाला कंकाल खनिज लवणों का बना होता है|
- शरीर के अवयवों की रचना में प्रयुक्त प्रोटीन तथा वसा के साथ जुड़ कर लवण योगदान करते है| खनिज लवणों (कैल्शियम, फास्फोरस आदि) की कमी से बच्चों में रिकेट तथा वयस्कों में आस्टियोमेलेशिया व आस्टोपोरोसिस हो जाता है|
- शरीर विकास, दुग्ध उत्पादन, प्रजनन तथा शरीर एवं रख-रखाव में लवण उपापचयी क्रियाओं में भाग लेते है| लवणों की कमी होने पर उत्पादन घटता है तथा बांझपन भी हो सकता है|
(5) विटामिन (Vitamins)
दूध में पाई जाने वाली विटामिनों को घुलनशीलता के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है-
- जल में घुलनशील विटामिन-विटामिन बी काम्पलेक्स के थायमीन, राइबोफ्लेविन, बायोटिन, फोलिक अम्ल, पाइरीडॉक्सीन आदि तथा विटामिन सी सम्मिलित है|
- वसा में घुलनशील विटामिन-विटामिन ए. डी. इ. तथा विटामिन-के पाई जाती है| विटामिन शरीर की साधारण वृद्धि के लिए परमावश्यक है| यदि इन विटामिनों को खुराक में नही दिया जाए तो कई तरह की बीमारियाँ हो जाती है|
(6) किण्वक (Eazymes)
किण्वकोंका क्षरण जीवित कोषों से होता है तथा यह कार्बनिक उत्प्रेरक की भांति कार्य करते है| किण्वक अपने कार्य में बहुत ही विशिष्ट होते है| दूध में मुख्य किण्वक- लेग्टेज, फास्फेटेज, एमाइलेज, परओक्सीडेज, प्रोटीएज, कैटालेज, हाइड्रोजिनेज तथा एल्डोलेज पाए जाते है जो इसके पोषक तत्वों को विघटित करते है|
(7) जल (Water)
दूध में जल की मात्रा अन्य घटकों की तुलना में सबसे अधिक होती है| गायों के दूध में लगभग 86% और भैंस के दूध में 83% होता है| दूध में अधिक जल होने से दूध के घटकों की पाचकता बढ़ जाती है| यह दूध के अन्य अवयवों का वाहक होता है|
दूध का संघटन (Composition of Milk)
दूध में मुख्य रूप से जल वसा, प्रोटीन, दुग्धम (शर्करा), खनिज पदार्थ, विटामिन व किण्वक पाए जाते है लेकिन सभी स्तनधारियों के दूध में इनकी मात्रा अलग-अलग होती है तथा पशुओं के नस्ल के अनुसार भी बदल जाती है| दूध का औसत संघटन तालिका के माध्यम से निम्न प्रकार है-
क्रमशः | जाति | जल | कुल ठोस | वसा रहित ठोस पदार्थ | वसा | प्रोटीन | दुग्धम | खनिज पदार्थ |
1. | गाय | 86.61 | 13.19 | 9.25 | 4.14 | 3.58 | 4.96 | 0.71 |
2. | भैंस | 82.76 | 17.24 | 9.86 | 7.38 | 3.60 | 5.48 | 0.78 |
3. | औसत | 87.43 | 12.57 | 8.82 | 3.75 | 1.63 | 6.98 | 0.21 |
4. | बकरी | 87.00 | 13.00 | 7.75 | 4.25 | 3.52 | 4.27 | 0.86 |
5. | भेड़ | 80.71 | 19.29 | 11.39 | 7.90 | 5.23 | 4.81 | 0.90 |
6. | ऊंटनी | 87.61 | 12.39 | 7.01 | 5.38 | 2.98 | 3.29 | 0.70 |
7. | गधी | 89.03 | 10.97 | 8.44 | 2.53 | 2.01 | 6.07 | 0.41 |
8. | घोड़ी | 89.04 | 10.96 | 9.37 | 1.59 | 2.69 | 6.14 | 0.51 |
दूध के संघटन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting composition of milk)
दूध का संघटन कई कारकों से प्रभावित होता है जो निम्न है|
(1) पशु की जाति (Animal Species)
स्तनधारियों की जातियों के अनुसार दूध का संघटन बदल जाता है उदाहरण के लिए गाय, भैस, भेड़, बकरी, ऊँट, आदि के संघटन में|
(2) पशु की नस्ल (Animal Breed)
दूध की मात्रा व संघटन पर पशुओं की नस्ल का भी प्रभाव पड़ता है उदाहरण के लिए गाय की नस्ल- साहीवाल, हरियाणा, सिंधी व नागौरी आदि के दूध का संघटन भिन्न होता है तथा मुर्रा भैंस के दूध में वसा की मात्रा 7.4% मिलती है जबकि भदावरी भैंस के दूध में 11-13% तक वसा पाई जाती है|
(3) पशु की आयु (Age of animal)
निश्चित आयु के बाद पशु का दुग्ध उत्पादन घटता जाता है तथा उसके संघटन में अंतर आ जाता है|
(4) चारे का प्रयोग
पशु को दिए जानेवाले चारे से दूध में संघटन पर काफी प्रभाव पड़ता है| पशुओं को दलहनी चारा खिलाने से दूध की मात्रा बढ़ती है तथा बिनीला खिलाने से दूध में वसा की मात्रा बढ़ जाती है|
(5) मौसम का प्रभाव (Effect of weather)
पशुओं के दूध का संघटन अलग-अलग मौसमों में बदलता रहता है| वर्षा के मौसम में हरा चारा अधिक मिलने के कारण दूध की मात्रा में वृद्धि के साथ संघटन में अंतर आता है|
(6) बीमारियों का प्रभाव (Effect of disease)
पशुओं में रोगों के कारण भी दूध का संघटन बदल जाता है उदाहरण के लिए थनैला रोग में दूध की मात्रा व वसा की मात्रा प्रभावित होती है| रोगों के कारण दूध की सुगंध भी बदल जाती है|
(7) ब्याँत की अवस्था
ब्यात कीअवस्था के अनुसार भी दूध का संघटन व उसकी मात्रा प्रभावित होती है ब्याँत के प्रारम्भ मध्य तथा अंत में दूध का संघटन भिन्न-भिन्न होता है| प्रारम्भ अवस्था में दूध में वसा की मात्रा कम तथा बाद में बढ़ जाती है|
(8) दूध दोहन की अंतरावधि
दूध दोहन की समयावधि दूध की मात्रा व संघटन दोनों को प्रभावित करती है| सुबह के दूध की मात्रा सांयकाल के दूध की अपेक्षा अधिक होती है|
(9) व्यायाम का प्रभाव
नियमित व्यायाम से पशु की दूध की मात्रा में कुछ कमी आ जाती है परन्तु वसा की मात्रा बढ़ जाती है|