जोंक क्या है?– दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम पशु परजीवियों में से जोंक कीट, जोंक क्या है का अध्ययन करेंगे| जो काफी महत्वपूर्ण होता है
जोंक का वैज्ञानिक नाम
वैज्ञानिक नाम – हिरूडिनेरिया ग्रैनुलोसा (Hirudinaria granulosa)
जोंक क्या है?-What is a leech
- जोंक कीट एनिलिडा (Annilida) संघ के हिरूड़ीनिया (Hirudinea) वर्ग का प्राणी है|
- जोंक कीट ग्नैथोब्डेलाइडा (Gnathobdellida) गण का प्राणी है|
- यह कीट झीलों, तालाबों, गीली दलदली मिट्टी में मिलती है |
- यह कीट गहरे भूरे रंग की कुछ चपटी सी कृमि जैसी 10 से 15 से.मी. तक लम्बी होती है|
- इस कीट का शरीर कुल 33 खण्डों में बँटा होता है परन्तु बाहर से दो से पाँच वृत्ताकार छल्लों में बंटी दिखाई देती है|
- जोंक कीट द्विलिंगी अथवा उभयलिंगी होते है|
- जोंक कीट के 10वें खण्ड में नर एवं 11वें खण्ड में मादा जनन छिद्र पाया जाता है|
- जोंक में श्वसन मोटी नम व चिपचिपी त्वचा द्वारा होता है|
- जोंक के दोनों सिरों पर चूषक पाये जाते है|
- इसके मुख प्रकोष्ठ में तीन जबड़ो(jaws) वाला चूषक होता है|जिसमे लार ग्रन्थियाँ होती है|
- जोंक की लार में प्रतिस्कंदक (Anticoagulant) का गुण पाया जाता है जिसे हिरूडिन(Hirudin) कहते है|
- जोंक में पाचन तंत्र के अंतर्गत मुख प्रकोष्ठ के पीछे आहारनाल के अंतर्गत ग्रसनी, दस खण्डों में बटा अन्नपुट (Crop) छोटा सा आमाशय व संकरी सी आंत होती है|
- जोंक में रक्त का पाचन व अवशोषण आंत में होता है|
- केंचुए के समान उत्सर्जन नेफ्रीडिया (Nephridia) द्वारा एवं उसी से मिलता जुलता तंत्रिका तंत्र होता है|
- देहगुहीय द्रव में हिमोग्लोबिन घुला रहता है, जो रक्त का कार्य करता है|
- जोंक में पश्च छोर का चूषक गमन एवं मेजबान के शरीर पर चिपकने में सहायक होता है|
जोंक का आर्थिक महत्व
जोंक स्वभाव से रुधिराहारी (Sanguivorus) होती है| जो मेढकों एवं मछलियों का रुधिरपान ही नही करती है बल्कि पशुओं एवं मनुष्य का भी रक्त चूस लेती है जो जल में उसके सम्पर्क में आते है| एक जोंक द्वारा चाय के छोटे चम्मच जितनी रक्त की अल्पहानि से मेजबान के जीवन चक्र पर कोई विशेष प्रभाव नही पड़ता है|
अभी तक ज्ञात 600 प्रजातियों में से इसकी 15 प्रजातियों को चिकित्सकीय गुणों के कारण जोंक चिकित्सा हेतु प्रयुक्त किया जाता है| जोंक की लार में 100 से ज्यादा बायोएक्टिव तत्व होते है जिसमें हिरूडीन एन्टीकोग्यूलेशन एंजेन्ट की तरह कार्य करता है| जोंक चिकित्सा में मुख्य रूप से जोंक की प्रजाति हिरुडो मेडिसिनेलस को निम्न रूप से प्रयुक्त किया जाता है|
- सिर पर जहाँ बाल कम हो उस स्थान पर इसे लगाया जाता है तो वहाँ बाल आने की सम्भावना बढ़ जाती है| जो लोग डेन्ड्रफ या फफूंद के संक्रमण के कारण गंजेपन से जूझ रहे है, उनके लिए जोंक चिकित्सा एक समबाण इलाज है| जोंक की लार फफूंद के संक्रमण को खत्म करने में सहायता करती है|
- यह आर्थराइटिस में भी इस्तेमाल की जाती है| इसकी लार में ऐसे तत्व होते है, जो जलन एवं जोड़ों के दर्द को कम करने में लाभकारी है| चिकित्सकीय जोंक मरीज के एक घण्टे तक चिपकी रहते है, यह चिकित्सा 6 से 8 माह बाद पुनः दोहरायी जाती है|
- मधुमेह के मरीजों का भी रक्त गाढ़ा होता है, जिससे रक्त के थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है अतः हिरूडीन उनके रक्त को पतला करने में सहायता करता है|
- कार्डियोवैस्कुलर में भी 20वीं शताब्दी में जोंक चिकित्सा काम में ली जाती थी| जोंक की लार का एंटीकोग्युलेशन एजेन्ट हिरूडीन ह्दय सम्बन्धी बीमारी में कार्य करता है|
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