राणा सांगा के प्रमुख युद्ध
(1)गागरोन का युद्ध
- 1519 में झालावाड़ में हुआ |
- यह युद्ध सांगा तथा मांडू (गुजरात) के सुल्तान, महमूद खिलज़ी द्वितीय के मध्य हुआ |
- सांगा ने महमूद खिलजी को लगभग6 महिनें तक बंदी बनाए रखा और बाद में छोड़ दिया |
- इस युद्ध में मेवाड़ के शासको ने पहली बार रक्षात्मक युद्ध प्रणाली के स्थान पर आक्रमण युद्ध प्रणाली अपनाई |
गागरोन के युद्ध के कारण:-
- मालवा के शासक़ नासिरूद्दिन की मृत्यु हो गयी उसके बाद उसका बडा पुत्र महमूद खिलजी द्वितीय मालवा का शासक बना लेकिन महमूद खिलजी का छोटे भाई साहीब खाँ सरदारों की मदद से शासक बन गया |
- महमूद खिलजी द्वितीय चन्देरी के शासक मेदनीराय की सहायता से फिर से शासक बना |
- बाद में महमूद खिल जी ने गुजरात के शासक मुज्जफर खा द्वितीय के साथ मिलकर चन्देरी पर आक्रमण और मेदिनिराय के पूरे परिवार को समाप्त कर दिया |
- मेदिनिराय ने सांगा से मदद मांगी इस कारण सांगा ने महमूद खिलजी पर आक्रमण किया |
- निजामुद्दीन ने कहा की शायद ही इतिहास में ऐसा उदाहरण देखने को मिले जहा शत्रु पर विजय पाने के बाद उसे दुबारा सोंप दे |
(2) खातौली का युद्ध :-
- 1517 में बूँदी में हुआ |
- यह युद्ध दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ |
- विजय :-सांगा
- इस युद्ध में सांगा का एक हाथ कट गया तथा पैर में तीर लगी |
(3) बाडी का युद्ध :-
- 1519 में झालावाड़ में हुआ |
- यह युद्ध सांगा तथा मांडू (गुजरात) के सुल्तान, महमूद खिलज़ी द्वितीय के मध्य हुआ |
- सांगा ने महमूद खिलजी को लगभग6 महिनें तक बंदी बनाए रखा और बाद में छोड़ दिया |
- इस युद्ध में मेवाड़ के शासको ने पहली बार रक्षात्मक युद्ध प्रणाली के स्थान पर आक्रमण युद्ध प्रणाली अपनाई |
(4)बयाना का युद्ध :-
- 16 फरवरी 1527 में भरतपुर में लड़ा गया |
- राणा सांगा व बाबर के मध्य युद्ध हुआ |
- विजय :-सांगा
- बयाना का युद्ध :-17 मार्च 1527 में हुआ |
- भरतपुर की रूपावास तहसील में यह युद्ध लड़ा गया |
- राणा सांगा व बाबर के मध्य हुआ |
- इस युद्ध में काबुल के संत मोहम्मद शरीफ ने बाबर के हारने की भविष्यवाणी की थी |
- सांगा ने प्रतिज्ञा की कि मैं तब तक ना तो पगडी पहनुँगा और ना हि मेवाड की पवित्र धरती पर कदम रखुगा जब तक चित्तौड़गढ़ को पुनः जीत नहीं लेता |
- राणा सांगा ने युद्ध के पहले पाती परवेन नामक पुरानी राजस्थानी परम्परा को पुनः प्रारम्भ किया |
- बाबर ने इस युद्ध में जिहाद (धर्म युद्ध) का नारा दिया |
- बाबर ने युद्ध के पश्चात् गाजी (धर्म योद्धा) की उपाधि धारण की |
- बाबर ने इस युद्ध में मुस्लमान व्यापारियों से लिये जाने वाले तमगा कर माफ किया |
- सांगा का सेनापति :– हसन खां मेवाती
- सांगा को सहलदी तंवर ने धोखा दिया |
- बाबर ने इस युद्ध मे तोपो तथा तुलगमा युद्ध पद्धति का प्रयोग किया |
- इस युद्ध में सांगा का छत्र झाला अज्जा ने धारण किया |
- सांगा के सिर में तीर लगने से मूर्छित हो गया तथा सांगा की मृत्यु विष देने से कालपी M .P में हुई |
- सांगा की समाधि माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा) में बनी हुई है |
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